ग्रोथ रेट में नोटबंदी का असर शामिल नहीं करने पर उठे कई सवाल
सरकार के आंकड़ों में चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर फिलहाल सात फीसद से यादा दिखाई दे रही हो। मगर अर्थविद और निजी आर्थिक एजेंसियां इससे इत्तेफाक नहीं रखतीं।
नई दिल्ली: सरकार के आंकड़ों में चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर फिलहाल सात फीसद से यादा दिखाई दे रही हो। मगर अर्थविद और निजी आर्थिक एजेंसियां इससे इत्तेफाक नहीं रखतीं। उनकी मानें तो जब अंतिम तौर पर आंकड़े आएंगे तो विकास दर की तस्वीर वैसी नहीं रहेगी, जैसी बताई जा रही है। इन सभी का तर्क है कि जब नोटबंदी के असर को शामिल ही नहीं किया गया है, तो फिर जीडीपी वृद्धि के आंकड़े सही कैसे हो सकते हैं। इन एजेंसियों की नजर में देश की विकास दर छह से 6.6 फीसद के बीच रहेगी।
उद्योग जगत ने भी इसकी चिंता जताते हुए सरकार से आगामी बजट में आर्थिक प्रोत्साहनों पर खास ध्यान देने का सुझाव दिया है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का ताजा अनुमान जारी करते हुए मुख्य सांख्यिकीविद टीसीए अनंत ने बताया कि 7.1 फीसद के अनुमान में नोटबंदी के असर को शामिल नहीं किया गया है। अनंत यह भी मानते हैं कि नोटबंदी के असर के बावजूद इस आंकड़े में बहुत बदलाव नहीं होगा। यह अपने आप में काफी विरोधाभासी है, क्योंकि देश भर से आ रही सूचनाओं के मुताबिक वित्तीय लेनदेन, छोटे व मझोले उद्योग काफी प्रभावित हुए हैं। वैसे 7.1 फीसद की विकास दर का अनुमान भी पूर्व में सरकार के 7.5 फीसद के अनुमान से कम है।
अगर सरकार का अनुमान सच होता है, तब भी यह विकास दर पिछले तीन वर्षो की न्यूनतम होगी। सरकार की तरफ से अर्थव्यवस्था के आंकड़े जारी होने के बाद घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने इसे अनुमान से बहुत यादा बताया है। एजेंसी के मुताबिक अगर वर्ष 2016-17 के अंत तक नोटबंदी के असर से अर्थव्यवस्था बाहर आ भी जाती है, तब भी कई ऐसे क्षेत्र रहेंगे जिन पर इनका असर लंबे समय तक रहेगा।
क्रिसिल ने विकास दर के 6.9 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन का तो कहना है कि साल की विकास दर छह फीसद पर सिमट सकती है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने इसके 6.8 फीसद रहने का अनुमान लगाया है। एक अन्य रेटिंग एजेंसी इकरा ने तो कहा है कि जीडीपी के आंकड़े में पिछले वर्ष से भी यादा गड़बड़ियों के आसार हैं। सरकार ने कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग, बिजली, कंस्ट्रक्शन के बारे में जो अनुमान लगाए हैं, वह वास्तविकता से यादा है। एसबीआइ रिसर्च ने भी कहा है कि नोटबंदी के असर से जीडीपी ग्रोथ रेट 6.7 फीसद रह सकती है।
एसोचैम ने भी कुछ ऐसी ही बातें कही है। बहरहाल, सारे उद्योग चैंबरों ने सरकार से एक सुर में आगामी बजट पर खास ध्यान देने को कहा है ताकि औद्योगिक सुस्ती को दूर करने में मदद मिले।