सरकारी बैंकों में एफडीआई की सीमा बढ़ाए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं: आर्थिक सचिव
वर्तमान में, सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत पीएसयू बैंकों में 20 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की ही अनुमति है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सार्वजनिक क्षेत्र (सरकारी) के बैंकों में एफडीआई सीमा बढ़ाए जाने की अटकलों पर विराम लगाते हुए आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि उनके पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। यहां पर उन्होंने सरकारी बैंक के निजीकरण की बातों को भी खारिज कर दिया।
सुभाष चंद्र गर्ग ने एक इंटरव्यू में बताया, “एफडीआई सीमा को और उदार बनाए जाने का फिलहाल कोई प्रस्ताव नहीं है।” वर्तमान में, सरकारी अनुमोदन मार्ग के तहत पीएसयू बैंकों में 20 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की ही अनुमति है। हालांकि, यह निजी क्षेत्र के बैंकों के लिए यह सीमा 74 फीसद की है, लेकिन इसमें निवेशक कंपनी के नियंत्रण और प्रबंधन में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
जब गर्ग से पूछा गया कि क्या सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों के निजीकरण पर विचार कर रही है तब गर्ग ने कहा, “मुझे नहीं लगता है कि किसी भी बैंक के निजीकरण का प्रस्ताव है।”
विशेषज्ञों के मुताबिक, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि के परिणामस्वरूप पूंजी का प्रवाह होगा जो कि पीएसयू बैंकों को तत्काल आवश्यकता है। सरकार इन बैंकों को सीमित समर्थन प्रदान कर सकती है क्योंकि संसाधन सीमित होते हैं।
गौरतलब है कि बीते साल सरकार ने फैसला किया था कि वो एनपीए संकट से जूझ रहे सरकारी बैंकों को मदद देने के लिए अगले दो सालों के भीतर उन्हें 2.11 लाख करोड़ रुपए के पुर्नपूंजीकरण की मदद प्रदान करेगी। इसमें से सरकार 20 सरकारी बैंकों को 2017-18 के दौरान ही 88,139 करोड़ रुपए का पूंजीकरण उपलब्ध करवा चुकी है।