महंगे क्रूड से फिलहाल घबराने की जरूरत नहीं
पिछले वित्त वर्ष के दौरान महंगाई के साथ ही वित्तीय घाटे को काबू में करने का जो करिश्मा सरकार ने दिखाया है उसमें सस्ते क्रूड का बहुत बड़ा हाथ है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । पिछले वित्त वर्ष के दौरान महंगाई के साथ ही वित्तीय घाटे को काबू में करने का जो करिश्मा सरकार ने दिखाया है उसमें सस्ते क्रूड का बहुत बड़ा हाथ है। अब जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें फिर से बढ़ने लगी है तो सरकार का चिंतित होना लाजिमी है। क्रूड की कीमतों पर न सिर्फ वित्त मंत्रालय बल्कि रिजर्व बैंक भी नजर जमाये हुए है। वैसे आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास का कहना है कि क्रूड की कीमतों में अभी तेजी आइ है लेकिन आने वाले दिनों में इसमें बहुत बदलाव आने के आसार नहीं है।
उधर, महंगे क्रूड की वजह से पेट्रो उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला जारी है। कल मंगलवार को पेट्रोल और डीजल महंगा किया गया था आज बुधवार को एटीएफ और गैर सब्सिडी वाली रसोई गैस की कीमत भी बढ़ाने का फैसला किया गया। एटीएफ की कीमत में 9.2 फीसद की बढ़ोतरी की गई है जबकि गैर सब्सिडी वाली रसोई गैस सिलेंडर में 21 रुपये की एकमुश्त वृद्धि की गई है। इसका मतलब हुआ कि अगर साल में 12 सिलेंडर के बाद आप 13वां सिलेंडर लेंगे तो इसके लिए ज्यादा कीमत अदा करनी होगी। इसकी कीमत 527.50 रुपये से बढ़ा कर 548.50 रुपये हो गई है। पिछले महीने की शुरुआत में भी इसकी कीमत में 18 रुपये की वृद्धि की गई थी। दरअसल, पिछले डेढ़ महीने से महंगे क्रूड की वजह से पेट्रो उत्पादों की कीमतों को तेल कंपनियां कई बार बढ़ा चुकी हैं।
दास ने कहा कि हम क्रूड की कीमतों पर लगातार नजर रखे हुए हैं। बीच में कीमतें बढ़ी थी लेकिन हाल के दो दिनों में इसमें कमी आइ है। बहरहाल, ऐसा नहीं लगता है कि इससे चिंतित होने की कोई बात है। जब उनसे पूछा गया कि क्या सरकार उत्पाद शुल्क की दर को घटा कर क्रूड कीमत का बोझ आम जनता को महंगाई से बचाने की कोशिश करेगी तो उनका जबाव था कि यह सवाल अभी सामने नहीं आया है। लेकिन सरकार के पास तमाम विकल्प है। सनद रहे कि वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले दिनों कहा था कि पेट्रोल की खुदरा कीमत 72 रुपये होने तक सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। उसके बाद ही उत्पाद शुल्क घटाने के विकल्प पर विचार होगा।