ऑडिट अनिवार्यता वाली इकाईयों की रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 15 फरवरी से आगे नहीं बढ़ेगी: वित्त मंत्रालय
31 दिसंबर 2020 को व्यक्तिगत आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि थी लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसे 31 दिसंबर 2020 से बढ़ाकर 10 जनवरी 2021 कर दिया था। वहीं आडिट मामलों की रिटर्न की तिथि जो पहले 31 जनवरी थी उसे बढ़ाकर 15 फरवरी कर दिया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। वित्त मंत्रालय ने आडिट अनिवार्यता वाली इकाईयों की रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 15 फरवरी से आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है। बता दें कि सरकार ने पिछले महीने व्यक्तिगत आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए अंतिम तारीख को बढ़ाकर 10 जनवरी कर दिया था, कंपनियों के सहूलियत के लिए अंतिम तारीख 15 फरवरी तय की गई। इस संबंध में ट्वीट के जरिये जानकारी दी गई थी।
31 दिसंबर 2020 को व्यक्तिगत आयकर रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि थी, लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसे 31 दिसंबर 2020 से बढ़ाकर 10 जनवरी 2021 कर दिया था। वहीं आडिट मामलों की रिटर्न की तिथि जो पहले 31 जनवरी थी उसे बढ़ाकर 15 फरवरी कर दिया। तीसरी बार ऐसा हुआ है जब आयकर विभाग ने तारीख को आगे बढ़ाया है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने सोमवार देर शाम दिए एक आदेश में कहा, "नियत तारीख के और विस्तार के लिए सभी अभ्यावेदनों को खारिज कर दिया गया है।" यह आदेश ऑल इंडिया गुजरात फेडरेशन ऑफ टैक्स कंसल्टेंट्स की याचिका पर 8 जनवरी को गुजरात उच्च न्यायालय के एक फैसले के मद्देनजर आया है। जिसमें न्यायालय ने वित्त मंत्रालय को आयकर अधिनियम की धारा 44 एबी के तहत ऑडिट रिपोर्ट दाखिल करने के लिए नियत तारीखों के विस्तार के मुद्दे पर ध्यान देने का निर्देश दिया।
सीबीडीटी ने अपने आदेश में तर्क दिया कि सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए यह तिथि तीन बार बढ़ाई गई है, जिसमें अंतिम तिथि 30 दिसंबर को घोषित की गई थी। इसमें बताया गया है कि अधिकांश ऑडिट रिपोर्ट और आयकर रिटर्न केवल तारीखों के आखिरी दिनों के भीतर दाखिल किए जाते हैं। इसमें कहा गया है कि 2019-20 के लिए यह देखा गया है कि कुल ऑडिट रिपोर्ट का 24 प्रतिशत नियत तारीख से पहले पिछले तीन दिनों में दर्ज किया गया था।
आदेश में यूएस और यूके का हवाला दिया गया है और कहा गया है कि अमेरिका में व्यक्तियों और कॉरपोरेट्स द्वारा रिटर्न दाखिल करने की नियत तारीखें 15 अप्रैल थीं, जिसे बढ़ाकर 15 अक्टूबर कर दिया गया था। जबकि उसी समय ब्रिटेन ने कोई विस्तार नहीं दिया, जबकि भारत ने सभी श्रेणियों के करदाताओं के लिए तीन बार तारीखें बढ़ाई हैं।