MSMEs के उम्दा भविष्य के लिए तैयार हो रही है नई रणनीति, दिसंबर से इस पर शुरू हो जाएगा अमल
मंत्रालय के प्रमुख अधिकारियों के नेतृत्व में गठित ये टास्क फोर्स निर्यात को बढ़ाने और आयात को कम करने क्लस्टर स्कीम के व्यापक फैलाव एमएसएमई की रि-इंजीनियरिंग मंत्रालय के भीतर टेक्नोलॉजी को एकीकृत करना और आधुनिकीकरण को एमएसएमई का हिस्सा बनाने के लिए अपनी रिपोर्ट देगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश के जीडीपी में 30 फीसद का योगदान देने वाले एमएसएमई क्षेत्र के लिए नई रणनीति तैयार की जा रही है। मंत्रालय पांच क्षेत्रों को ध्यान में रखकर रणनीति का निर्माण कर रहा है ताकि एमएसएमई को आगे ले जाया जा सके। एमएसएमई सचिव ए.के. शर्मा के मुताबिक एमएसएमई के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए मंत्रालय ने पांच टास्क फोर्स का गठन किया है। मंत्रालय के प्रमुख अधिकारियों के नेतृत्व में गठित ये टास्क फोर्स निर्यात को बढ़ाने और आयात को कम करने, क्लस्टर स्कीम के व्यापक फैलाव, एमएसएमई की रि-इंजीनियरिंग, मंत्रालय के भीतर टेक्नोलॉजी को एकीकृत करना और आधुनिकीकरण को एमएसएमई का हिस्सा बनाने के लिए अपनी रिपोर्ट देगी।
शर्मा के मुताबिक टास्क फोर्स इन पांच क्षेत्रों में दुनिया के उम्दा चलन का अध्ययन करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार करेंगे। इस साल अक्टूबर आखिर तक टास्क फोर्स को अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। नवंबर में रणनीति पर अमल की पूरी तैयारी के बाद दिसंबर से इस पर अमल शुरू हो जाएगा।
औद्योगिक संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में शर्मा ने कहा कि नए साल में एमएसएमई के नए भविष्य पर काम शुरू होगा। उन्होंने कहा कि एमएसएमई की नई परिभाषा के तहत 6 लाख से अधिक नए पंजीयन किए गए हैं। इनमें से 90 फीसद पंजीयन पैन नंबर के साथ किए गए हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस प्रकार का पंजीयन पूरी तरह से आईटी और जीएसटी नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।
एमएसएमई सचिव ने कहा कि बड़ी कंपनियों का दायित्व एमएसएमई को सिस्टम के साथ चलने के लिए तैयार करना है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को खुद को डिजिटल प्रक्रिया अपनाने के लिए हर हाल में तैयार करना होगा क्योंकि उनके पास कोई और विकल्प नहीं है। हाल ही में मंत्रालय ने देश के जीडीपी में एमएसएमई के योगदान को 50 फीसद पर ले जाने का लक्ष्य रखा है।