राजकोषीय घाटे को काबू में करने के लिए सरकार कर सकती है खर्च में भारी कमी, GDP Growth पर पड़ेगा ये असर
Fiscal Deficit सरकार की योजना राजकोषीय घाटा को GDP के 3.8 फीसद पर सीमित रखने की है। इससे पहले सरकार ने 3.3 फीसद का लक्ष्य रखा था।
नई दिल्ली, रायटर्स। भारत सरकार चालू वित्त वर्ष में अपने खर्चों में दो हजार अरब रुपये तक की भारी कटौती कर सकती है। टैक्स वसूली में भारी कमी को देखते हुए राजकोषीय घाटे को स्वीकार्य सीमा में रखने के लिए सरकार यह फैसला कर सकती है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। सरकार अगर अपने खर्च कम करती है तो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की विकास दर और सुस्त पड़ सकती है। निजी निवेश घटने से देश की GDP Growth पहले ही छह साल से भी अधिक समय के निचले स्तर पर पहुंच गई है।
सरकार के पास सीमित विकल्प
सरकार के अधिकारी ने बताया कि राजस्व में 2,500 अरब रुपये तक की कमी आने के बाद राजकोषीय घाटा को 'स्वीकार्य सीमा' में रखने के लिए सरकार के पास बहुत विकल्प नहीं बचेंगे। इस साल मांग में कमी और कंपनियों की आय घटने से इस साल टैक्स कलेक्शन में भारी कमी आई है। विश्लेषकों का कहना है कि सरकार के खर्च में कमी करने से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को धक्का लगेगा।
अक्टूबर से खर्च में कमी
सरकार ने नवंबर तक 27.86 ट्रिलियन रुपये के व्यय लक्ष्य का 65 फीसद तक खर्च दिया है लेकिन सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर और नवंबर में सरकारी खर्चों में कमी आ गई थी। अगर सरकार अपने खर्च में दो हजार अरब रुपये की कटौती करती है तो यह कुल व्यय लक्ष्य का सात फीसद होगा।
L&T Financial में मुख्य अर्थशास्त्री Rupa Rege Nitusure ने सरकार द्वारा खर्चे में कमी की योजना पर कहा, ''जब निजी निवेश में इतनी कमी आई है तो इस फैसले से आर्थिक विकास की गति और सुस्त पड़ जाएगी।''
इतना है राजकोषीय घाटे का लक्ष्य
सूत्रों के मुताबिक सरकार की योजना राजकोषीय घाटा को GDP के 3.8 फीसद पर सीमित रखने की है। इससे पहले सरकार ने 3.3 फीसद का लक्ष्य रखा था।