जानिए किस बात को लेकर मोदी सरकार को घेर रहे हैं कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री
कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री जीएसटी क्षतिपूर्ति का भुगतान नहीं होने के कारण मोदी सरकार पर हमलावर हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। कांग्रेस शासित राज्यों पंजाब और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने शनिवार को मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आर्थिक सुस्ती एवं जीएसटी के तहत राज्यों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं होने के कारण केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। इन दोनों मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। सिंह ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण राज्यों की परेशानियों को समझती हैं। उन्होंने कहा कि राज्यों को जीएसटी होने वाली पूरी आय केंद्र को देना होता है। उन्होंने कहा कि पंजाब को अगस्त से बकाये का भुगतान नहीं किया गया है।
सिंह ने कहा, ''मुझे नहीं लगता कि वह (वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण) राज्यों की परेशानियों को समझ पा रही हैं। जीएसटी से होने वाली सभी आय को हम केंद्र को पास कर देते हैं। मुझे अगस्त से अबतक का बकाया नहीं मिल सका है। हम वेतन के भुगतान के लिए उधार मांगते नहीं रह सकते।''
आर्थिक सुस्ती के संदर्भ में बघेल ने कहा कि कांग्रेस इस सवाल को लेकर 14 दिसंबर को प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा, ''सीतारमण प्याज के बारे में भी नहीं समझती हैं। वह किसी और चीज को कैसे समझेंगी। हम बोनस की मांग नहीं कर रहे हैं लेकिन केंद्र से वह खरीदने के लिए कह रहे हैं, जो वह पहले किया करती थी। हने यह सुनिश्चित किया है कि हमारे राज्य में किसानों और श्रमिकों को सुस्ती की मार ना झेलनी पड़े। हमें आम लोगों को रुपये देने की जरूरत है। उन्होंने (सरकार ने) आरबीआई से पैसे लिए हैं लेकिन वे गए कहां? उपभोक्ताओं के हाथ बंधे हुए हैं। मांग नहीं है। लोग कम खर्च कर रहे हैं।''
सिंह और बघेल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब हाल ही में जीडीपी के ताजा आंकड़े जारी हुए हैं। सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार घटकर 4.5 फीसद रह गई। दूसरी ओर प्याज की आसमान छूती कीमतों के कारण मुद्रास्फीति में भी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। यही वजह है कि आरबीआई ने पांच दिसंबर को नीतिगत दरों की समीक्षा में रेपो रेट को 5.15 फीसद पर यथावत रखने का फैसला किया था।