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MSMEs को रोजाना के बिजनेस के आधार पर मिलेगा लोन, सरकार ला रही नई व्यवस्था

डेटा सुरक्षा को लेकर नीति आयोग ने एक ड्राफ्ट जारी किया है जिसमें रोजाना के कारोबार या लेनदेन के डेटा के आधार पर एमएसएमई को लोन मुहैया कराने की सिफारिश की गई है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Mon, 07 Sep 2020 08:17 AM (IST)Updated: Mon, 07 Sep 2020 05:39 PM (IST)
MSMEs को रोजाना के बिजनेस के आधार पर मिलेगा लोन, सरकार ला रही नई व्यवस्था

नई दिल्ली, राजीव कुमार। माइक्रो, स्मॉल व मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) के साथ किराना कारोबारियों को उनके रोजाना के कारोबार (टर्नओवर) के आधार पर लोन मिल जाएंगे। इस लोन के बदले उन्हें बैंक या अन्य वित्तीय संस्थाओं के पास कुछ भी बंधक नहीं रखना होगा। सरकार ऐसी व्यवस्था ला रही है। इस प्रकार के लोन आसानी से मिलने से छोटे उद्यमी और छोटे कारोबारियों को रोजाना स्तर पर जरूरत पड़ने वाली नकदी की कमी नहीं होगी। अभी एमएसएमई और किराना व्यापारियों के रोजाना के कारोबार का डेटा उपलब्ध नहीं होने की वजह से उन्हें इस प्रकार की व्यवस्था के तहत लोन नहीं मिल पाता हैं।

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डेटा सुरक्षा को लेकर नीति आयोग ने एक ड्राफ्ट जारी किया है जिसमें रोजाना के कारोबार या लेनदेन के डेटा के आधार पर एमएसएमई को लोन मुहैया कराने की सिफारिश की गई है। ड्राफ्ट में इस व्यवस्था को जल्द-से-जल्द लागू करने का जिक्र है। ड्राफ्ट में कहा गया है कि किसी कारोबारी का जीएसटी डाटा या रोजाना स्तर पर किए जाने वाले उसके ट्रांजेक्शन को लोन देने का आधार बनाया जा सकता है।

इसके अलावा सरकारी ई-पोर्टल पर छोटे उद्यमियों या कारोबारियों के कारोबार का डाटा या अगर कोई कारोबारी अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे ई-प्लेटफार्म पर पंजीकृत है तो वहां उस कारोबारी द्वारा किए जाने वाले कारोबार के डाटा के आधार पर उन्हें लोन देने की व्यवस्था की जा सकती है। लोन की इस प्रकार की व्यवस्था से छोटे कारोबारियों व उद्यमियों की वित्तीय स्थिति को मजबूती मिलेगी।

नीति आयोग के ड्राफ्ट के मुताबिक उद्यमियों के बारे में सटीक और सच्ची जानकारी हासिल करने के लिए वित्त, ई-कॉमर्स, टेलीकॉम व अन्य प्रमुख क्षेत्रों में एकाउंट एग्रीग्रेटर (एए) होंगे। ये एए एमएसएमई की सहमति से उनके डेटा को बैंक व एनबीएफसी के साथ शेयर करेंगे। इस प्रकार की डाटा शेयरिंग से बैंक और वित्तीय संस्थाओं को भी फायदा होगा क्योंकि लोन देने से पहले एमएसएमई के बारे में सूचनाएं इकट्ठा करने पर उन्हें कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा। कारोबारियों की लोन चुकाने की क्षमता का मूल्यांकन आसानी से हो जाएगा जैसे अभी संगठित क्षेत्रों में काम करने वालों की सैलरी स्लिप देखकर बैंक लोन दे देता है। एए का काम करने के लिए हर क्षेत्र के नियामक लाइसेंस जारी करेंगे। एए के पास डाटा होगा।

एमएसएमई पर गठित यूके सिन्हा कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में सिर्फ 8 फीसद एमएसएमई की पहुंच वित्तीय सुविधा के औपचारिक माध्यम तक है। बाकी के 92 फीसद एमएसएमई को वित्तीय मदद जुटाने के लिए अनौपचारिक माध्यमों का सहारा लेना पड़ता है। अधिकतर एमएसएमई को लोन के लिए अपनी संपदा को बंधक रखना पड़ता है। क्रेडिट रेटिंग सूचना एजेंसी इकरा की कोविड काल के पहले की रिपोर्ट के मुताबिक देश में एमएसएमई के 25 लाख करोड़ रुपए की लोन मांग की पूर्ति नहीं की जा सकी।


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