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लॉकडाउन के बाद एमएसएमई के सामने कई नई चुनौतियां, श्रमिकों से लेकर नकदी तक की है परेशानी

MSME उद्यमियों का कहना है कि सरकार की तरफ से उन्हें कर्ज चुकाने की अवधि में मोहलत दी गई है कर्ज पर लगने वाले ब्याज में कोई छूट नहीं दी गई है। (Pic-pixabay.com)

By Manish MishraEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 07:45 AM (IST)Updated: Sat, 11 Apr 2020 08:32 AM (IST)
लॉकडाउन के बाद एमएसएमई के सामने कई नई चुनौतियां, श्रमिकों से लेकर नकदी तक की है परेशानी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। लॉकडाउन के बाद अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को फिर से चालू करने की कवायद में माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम कंपनियां यानी एमएसएमई जुट गई हैं। लेकिन उन्हें कोरोना के बाद की परिस्थिति में मैन्युफैक्चरिंग शुरू करना आसान नहीं लग रहा है। उद्यमियों ने बताया कि उनके समक्ष कुशल श्रमिकों की खोज से लेकर उन्हें यूनिट तक लाने-ले जाने, उनकी रोजाना स्तर पर स्क्रीनिंग, यूनिट में साफ-सफाई जैसी कई चुनौतियां आ रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण समस्या नकदी की आने वाली है क्योंकि पिछले दो महीने से बगैर कारोबार के ही उन्हें अपने कर्मचारियों को वेतन देना पड़ रहा है। उद्यमियों का कहना है कि सरकार की तरफ से उन्हें कर्ज चुकाने की अवधि में मोहलत दी गई है, कर्ज पर लगने वाले ब्याज में कोई छूट नहीं दी गई है।

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इंटीग्रेटेड एसोसिएशन ऑफ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज ऑफ इंडिया के चेयरमैन राजीव चावला ने बताया कि लॉकडाउन खुलने पर बिल्कुल बदली हुई परिस्थिति में काम शुरू करना होगा। यूनिट में शारीरिक दूरी का पालन कराना सबसे जरूरी होगा क्योंकि कोरोना का वायरस अगले महीने तक समाप्त नहीं होगा। अपने कर्मचारी को नए माहौल में काम करने के लिए ट्रेनिंग देनी होगी। उनको कोरोना वायरस से बचाने के लिए उनके लिए ट्रांसपोर्ट की भी व्यवस्था करनी होगी। क्योंकि यूनिट में एक भी कर्मचारी के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की स्थिति में उन्हें पूरी यूनिट को बंद करना होगा।

लॉकडाउन खुलने से बाद मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए उद्यमियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती श्रमिकों की आ रही हैं। कई उद्यमी अपने यहां काम करने वालों श्रमिकों से लगातार संपर्क में हैं, लेकिन श्रमिक फिलहाल काम पर वापस आने से अधिक अपने मूल राज्य लौटने के लिए बेताब दिख रहे हैं। उद्यमियों के मुताबिक लॉकडाउन की घोषणा के बाद 10 फीसद से भी कम श्रमिक अपने घर वापस लौटे हैं।

उद्यमियों ने बताया कि काम शुरू होने के बाद अगर ऑर्डर मिल भी जाते हैं तो उसे पूरा करने के लिए उनके पास नकदी की किल्लत होगी। बाजार में उनकी पूंजी फंसी पड़ी है और वसूली की कोई गारंटी नहीं है। दिल्ली के नरेला इलाके में कॉस्मेटिक आइटम की मैन्युफैक्चरिंग करने वाले उद्यमी राकेश शर्मा ने कहा कि फिर जीरो से काम शुरू करना होगा।


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