कैबिनेट ने सरकारी तेल कंपनियों में FDI की सीमा को बढ़ाकर 100 फीसद किया, BPCL के प्राइवेटाइजेशन में मिलेगी मदद
सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों में सरकार ने 100 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की मंजूरी दे दी है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को कैबिनेट कमेटी की बैठक में आयल कंपनियों में 100 फीसद एफडीआइ का फैसला किया गया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकारी पेट्रोलियम कंपनियों में सरकार ने 100 फीसद प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की मंजूरी दे दी है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को कैबिनेट कमेटी की बैठक में आयल कंपनियों में 100 फीसद एफडीआइ का फैसला किया गया। इससे सरकार को भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन (बीपीसीएल) के निजीकरण में सहूलियत होगी और कंपनियों की अच्छी कीमत भी प्राप्त होगी।
सूत्रों के मुताबिक सरकार ने उन तेल व गैस कंपनियों में आटोमेटिक रूट से 100 फीसद एफडीआइ की इजाजत दी है जिनके विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी मिल चुकी है। वर्तमान में सरकारी तेल व गैस कंपनियों में 49 फीसद एफडीआइ की इजाजत है। भारत की दूसरी सबसे बड़ी रिफाइनरी कंपनी बीपीसीएल में सरकार अपनी लगभग 53 फीसद हिस्सेदारी को बेचना चाहती है। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों में ऑटोमैटिक रूट से एफडीआई की सीमा 49 फीसद है।
इस सीमा का मतलब था कि भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) की बिक्री किसी विदेशी कंपनी को नहीं की जा सकती थी।
BPCL में सरकार की करीब 53 फीसद की हिस्सेदारी खरीदने के लिए आशय पत्र प्रस्तुत करने वाली तीन में से दो कंपनियां दूसरे देशों की हैं।
एक अधिकारी ने बताया, ''केवल विनिवेश के मामले में एफडीआई की सीमा को बढ़ाने का फैसला किया गया है।''
अभी सरकार केवल BPCL में अपनी हिस्सेदारी बेच रही है। वहीं, देश की सबसे बड़ी ऑयल रिफाइनरी और मार्केटिंग कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ही सरकार के सीधे नियंत्रण में हैं।
हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) अब सरकारी स्वामित्व वाली ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) की सब्सिडियरी है।
सरकार ने मार्च 2008 में पब्लिक सेक्टर कंपनियों द्वारा प्रमोटेड ऑयल रिफाइनरी कंपनियों में एफडीआई की सीमा को 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद कर दिया था।