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भूमिहीनों के लिए वरदान साबित होगी 'मीठी क्रांति', शहद निर्यात बढ़ाने के लिए खोले जाएंगे आधुनिक लैब

खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नरेंद्र तोमर ने बताया कि देश में शहद उत्पादन की संभावना के मद्देजनर शहद की क्वालिटी जांचने के लिए आधुनिक लैबोरेटरी स्थापित की जाएगी। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में फिलहाल 1.20 लाख टन शहद का उत्पादन किया जा रहा है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 11:53 AM (IST)Updated: Sat, 10 Apr 2021 08:11 AM (IST)
भूमिहीनों के लिए वरदान साबित होगी 'मीठी क्रांति', शहद निर्यात बढ़ाने के लिए खोले जाएंगे आधुनिक लैब
मधुमक्खी पालन ( P C : Pixabay )

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भूमिहीन किसानों के लिए मधुमक्खी पालन वरदान साबित हो सकता है। किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खेती से जुड़े उद्यमों को सरकार प्रोत्साहन दे रही है। शहद की घरेलू व निर्यात मांग होने से इस क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं। शहद उत्पादन की आधुनिक टेक्नोलॉजी के उपयोग के साथ किसानों को इसमें काफी सहूलियत होगी। मधुमक्खी पालन एक ऐसा साधन साबित होगा, जिससे गरीबी उन्मूलन में मदद मिलेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

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गांवों में मछली पालन, पशु पालन, डेयरी और मधुमक्खी पालन के माध्यम से भूमिहीन किसानों और खेतिहर मजदूरों के जीवन स्तर में सुधार लाने में मदद मिल सकती है। केंद्र सरकार के इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने का दायित्व सहकारी एजेंसी नैफेड को सौंपा गया है।

खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नरेंद्र तोमर ने बताया कि देश में शहद उत्पादन की संभावना के मद्देजनर शहद की क्वालिटी जांचने के लिए आधुनिक लैबोरेटरी स्थापित की जाएगी। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में फिलहाल 1.20 लाख टन शहद का उत्पादन किया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी शहद की पर्याप्त मांग है। सालाना 55 हजार टन शहद का निर्यात किया जा रहा है। जबकि शहद और उससे बने उत्पादों का निर्यात पिछले कुछ वर्षो में दोगुना हो गया है।

तोमर ने कहा कि शहद की क्वालिटी के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है। विश्व बाजार में अपनी पैठ बनाने के लिए वैश्विक मानकों पर खरा उतरना जरूरी है। मधुमक्खी पालकों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। किसान उत्पादक संगठन में मधुमक्खी पालकों को भी शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए राष्ट्रीय बी बोर्ड ने शहद मिशन की शुरुआत की है।


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