तीसरी तिमाही में बेहतर प्रदर्शन को लेकर वित्त मंत्रालय आशान्वित, कोरोना की दूसरी लहर की आशंका को लेकर भी चेताया
वित्त मंत्रालय को चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। मंत्रालय का मानना है कि गत अक्टूबर-नवंबर में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का प्रदर्शन भी काफी अच्छा रहा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वित्त मंत्रालय को चालू वित्त वर्ष 2020-21 की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। मंत्रालय का मानना है कि गत अक्टूबर-नवंबर में कई प्रकार की आर्थिक गतिविधियों का प्रदर्शन भी काफी अच्छा रहा। ग्रामीण मांग में आगे भी मजबूती जारी रहने की उम्मीद है। हालांकि वित्त मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कोरोना महामारी की दूसरी लहर को लेकर सचेत रहने के लिए भी कहा है।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामले विभाग (डीईए) की तरफ से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी में 23.9 फीसद की गिरावट सख्त लॉकडाउन की वजह हुई। लॉकडाउन में ढील मिलते ही इकोनॉमी में वी-शेप की रिकवरी हुई और दूसरी तिमाही में जीडीपी गिरावट दर 7.5 फीसद रह गई। पहली तिमाही से तुलना करने पर दूसरी तिमाही के जीडीपी में 23 फीसद का इजाफा हुआ। मंत्रालय का मानना है कि यह इस बात को साबित करता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद अब भी मजबूत है और वह लॉकडाउन से पूर्व की स्थिति में लौट रही है।
वित्त मंत्रालय कई वजहों से तीसरी तिमाही में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रहा है। मंत्रालय का कहना है कि दिवाली से ठीक पहले आत्मनिर्भर भारत पैकेज 3.0 की घोषणा से दबाव में चल रहे सेक्टर के साथ हाउसिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, सामाजिक कल्याण कार्यक्रम को मदद मिलेगी जिससे लोगों को फिर से नौकरी मिलेगी और नई नौकरियों का भी सृजन होगा।
मंत्रालय का कहना है कि वैश्विक स्तर पर दिखने वाली आर्थिक अनिश्चितता भारत में नहीं दिख रही है। हालांकि त्योहारी सीजन के बाद कोरोना संक्रमण की संख्या में बढ़ोतरी रही, लेकिन एक बार फिर से संक्रमण दर में कमी आने लगी है।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक रबी की बुवाई में बढ़ोतरी से 2020-21 में कृषि उत्पाद में बढ़ोतरी रहेगी। रबी की बुवाई अधिक होने से ग्रामीण इलाके में श्रमिकों की मांग जारी रही और ग्रामीण मजदूरी में भी बढ़ोतरी हुई। वित्त मंत्रालय के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 20 नवंबर तक केंद्र सरकार 9.05 लाख करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 68 फीसद अधिक है। वहीं, राज्य सरकारें अब तक 4.73 लाख करोड़ का कर्ज ले चुकी हैं जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले 50 फीसद अधिक है। कर्ज में यह बढ़ोतरी वित्तीय पैकेज को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।