पेट्रोल-डीजल बेचने के लिए गैर-तेल कंपनियों के लाइसेंस नियम बदले, न्यूनतम 500 करोड़ रुपये होगा जरूरी
रिटेल और बल्क दोनों के लिए प्राधिकरण की मांग करने वालों के लिए आवेदन के समय न्यूनतम नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये होना चाहिए।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार ने मंगलवार को कहा कि खुदरा और थोक उपभोक्ताओं को पेट्रोल और डीजल बेचने के लिए उदारीकृत लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कम से कम 500 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति वाली कोई भी इकाई योग्य है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने कहा कि नवंबर 2019 में ईंधन लाइसेंसिंग शासन को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि 250 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ कोई भी इकाई खुदरा पेट्रोल और डीजल को थोक या खुदरा उपभोक्ताओं को लाइसेंस दे सकती है। रिटेल और बल्क दोनों के लिए प्राधिकरण की मांग करने वालों के लिए आवेदन के समय न्यूनतम नेटवर्थ 500 करोड़ रुपये होना चाहिए।
मंत्रालय ने बयान में कहा कि सरकार ने 8 नवंबर, 2019 को मोटर स्पिरिट (पेट्रोल) और हाई-स्पीड डीजल (डीजल) के थोक और खुदरा मार्केटिंग के लिए प्राधिकरण के अनुदान के लिए आसान दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया था।
पिछले साल, सरकार ने ऑटो ईंधन की खुदरा बिक्री के लिए मानदंडों में ढील दी थी, जिससे गैर-तेल कंपनियों को व्यापार में उतरने की अनुमति मिली।
इससे पहले भारत में एक कंपनी को हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और उत्पादन, शोधन, पाइपलाइन या तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनलों में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करना था।
बयान में कहा गया कि आसान दिशानिर्देशों का उद्देश्य पेट्रोल और डीजल के मार्केटिंग में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाना है। इसमें कहा गया कि रिटेल या बल्क के लिए प्राधिकरण मांगने की इच्छुक इकाई के पास आवेदन करते समय न्यूनतम नेटवर्थ 250 करोड़ रुपये होना चाहिए, जबकि- खुदरा और थोक दोनों के लिए प्राधिकरण के मामले में 500 करोड़ रुपये होने चाहिए। आवेदन में कहा गया है कि मंत्रालय को सीधे निर्धारित प्रपत्र में प्रस्तुत किया जा सकता है।