Move to Jagran APP

सरकारी बैंकों के एकीकरण की रफ्तार हुई तेज, मिली कैबिनेट की मंजूरी

सरकारी बैंकों के विलय को लेकर केंद्र सरकार पिछले डेढ़ दशक से विचार कर रही है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 23 Aug 2017 01:44 PM (IST)Updated: Wed, 23 Aug 2017 02:20 PM (IST)
सरकारी बैंकों के एकीकरण की रफ्तार हुई तेज, मिली कैबिनेट की मंजूरी
सरकारी बैंकों के एकीकरण की रफ्तार हुई तेज, मिली कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली (जयप्रकाश रंजन)। केंद्र सरकार ने सरकारी क्षेत्र के बैंकों में सुधार की सबसे बड़ी प्रक्रिया की गति और तेज कर दी है। देश के 21 सरकारी बैंकों में विलय व अधिग्रहण की प्रक्रिया को शुरु करने के प्रस्ताव को बुधवार को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इन बैंकों की संख्या पहले चरण में घटा कर 10 से 12 की जाएगी। लेकिन लंबी अवधि में इनकी संख्या और घटा कर 7 के करीब करने की होगी।

loksabha election banner

सरकारी क्षेत्र में बैंकों के विलय को लेकर केंद्र सरकार पिछले डेढ़ दशक से विचार कर रही है। इस दौरान कई समितियों का गठन किया गया लेकिन कभी अमल नहीं किया जा सका। सबसे भारतीय बैंक संघ ने वर्ष 2003 में इसका रोडमैप तैयार किया था। उसके बाद यूपीए सरकार ने तत्कालीन वित्त सचिव आर एस गुजराल की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति ने सभी बैंकों को मिला कर सात बड़े बैंक बनाने का सुझाव दिया था। लेकिन तमाम वजहों से इन पर आगे नहीं बढ़ा जा सका। मौजूदा राजग सरकार ने एसबीआइ के साथ इसके पांच सब्सिडियरियों और एक अन्य भारतीय महिला बैंक के विलय की प्रक्रिया पूरी कर यह बता दिया था इस मुद्दे को अब ज्यादा दिनों तक नहीं लटकाया जाएगा।

सूत्रों की मानें तो अगर ये बैंक फंसे कर्जे की समस्या से नहीं जूझ रहे होते विलय की प्रक्रिया को और तेजी से पूरी की जाती। देश के सरकारी बैंक फिलहाल एक साथ कई समस्याओं से गुजर रहे हैं। एक तरफ तो फंसे कर्जे यानी एनपीए (नान परफॉरमिंग एसेट्स) की दलदल में गले तक धंसे हुए हैं।

ताजे आंकड़ों के मुताबिक कुल अग्रिम का 9.5 फीसद हिस्सा एनपीए में तब्दील हो चुका है। देश के बैंकिंग इतिहास में ऐसा नहीं हुआ है। बड़े कर्जदारों से कर्ज वसूलने की नई प्रक्रिया शुरु की गई है। दूसरी सबसे बड़ी समस्या ये सारे बैंक भारी वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में सरकार की तरफ से इन्हें 60 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं लेकिन वह नाकाफी साबित हो रहा है।

बहरहाल, विलय के बाद एक बड़ा फायदा यह होगा कि देश के बड़े परियोजनाओं को ये बैंक अब ज्यादा कर्ज दे सकेंगे। वैश्विक स्तर पर होने वाले बदलावों का ये बैंक ज्यादा आसानी से सहन कर सकेंगे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.