गोल्ड ज्वैलरी पर अनिवार्य हालमार्किग, 50 फीसद से अधिक आभूषणों की नहीं पाती है हालमार्किग
मौजूदा समय में देश के बड़े शहरों में ही कुल 861 टेस्ट व हालमार्किग की सुविधा है। अनिवार्य हालमार्किग के प्रावधान से पहले विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में इसे दर्ज कराना जरूरी है
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। गोल्ड ज्वैलरी पर अनिवार्य हालमार्किग की राह की सभी बाधाएं दूर हो चुकी हैं। डब्लूटीओ में इसकी सूचना दर्ज कराने के बाद सरकार इसे त्वरित गति से लागू करने में जुट गई है। आगामी दो महीने के भीतर बांबे आइआइटी के विकसित सॉफ्टवेयर के माध्यम से ज्वैलर्स खुद को हालमार्किग के लिए आन लाइन रजिस्टर कर सकेंगे। शहरों के साथ छोटे कस्बों और हर जिला मुख्यालय पर हालमार्किग के टेस्ट सेंटर स्थापित करने की योजना है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय और भारतीय मानक ब्यूरो के आला अफसरों के साथ बृहस्पतिवार को केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की बैठक में इसे चरणबद्ध तरीके से देशभर में लागू करने का फैसला किया गया।
गोल्ड ज्वैलरी पर फिलहाल हालमार्किग स्वैच्छिक है, जिसे सरकार कानूनी रूप से अनिवार्य बनाने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी तरह के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने पर विचार किया जा रहा है। इंडियन एसोसिएशन आफ हालमार्किग सेंटर के अध्यक्ष हर्षद अजमेरा का कहना है कि देश में कुल तीन लाख रजिस्टर्ड ज्वैलर्स हैं। इनमें से केवल 10 फीसद यानी केवल 30 हजार ज्वैलर्स ही हालमार्किग कराने को रजिस्टर्ड हैं। इससे साफ है कि बाकी ज्वैलर्स की गोल्ड ज्वैलरी पर लगाये जाने वाले हालमार्किग पर संदेह है।
मौजूदा समय में देश के बड़े शहरों में ही कुल 861 टेस्ट व हालमार्किग की सुविधा है। अनिवार्य हालमार्किग के प्रावधान से पहले विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) में इसे दर्ज कराना जरूरी है, जिसकी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अजमेरा के मुताबिक देश में पिछले साल 4.49 करोड़ नग ज्वैलरी पर हालमार्किग की गई थी, जिसमें कुल 450 टन सोने की खपत हुई। देश में सालाना 1000 से 1200 टन सोने की ज्वैलरी बनती है। बाकी 50 फीसद गोल्ड ज्वैलरी की क्वालिटी, शुद्धता और वजन के साथ की गई हालमार्किग संदिग्ध है।
उपभोक्ताओं के हितों को देखते हुए अनिवार्य हालमार्किग पर जल्दी अमल किये जाने की जरूरत है। उपभोक्ता मामले मंत्री पासवान के साथ मंत्रालय के अफसरों की बैठक में तय किया गया है कि अगले दो महीने के भीतर देश के सभी ज्वैलर्स को आन लाइन रजिस्टर करने की सुविधा दे दी जाएगी। यह साफ्टवेयर बांबे आइआइटी ने तैयार किये हैं। राष्ट्रीय स्तर पर इसे लागू करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो से कहा गया कि वह आगामी दो सप्ताह के भीतर कार्य योजना तैयार कर पेश करे।