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इस सप्ताह मैक्रो डेटा और वैश्विक संकेत तय करेंगे शेयर बाजार का रुख: विश्लेषक

विश्लेषकों का कहना है कि महंगाई बढ़ने को लेकर जारी चिंताओं के बीच वैश्विक रूझान और इस सप्ताह जारी होने वाले मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा का शेयर बाजारों में कारोबारी गतिविधियों पर असर होगा। विश्लेषकों के अनुसार इस सप्ताह यही बाजार की दिशा तय करेंगे।

By Lakshya KumarEdited By: Published: Sun, 29 May 2022 03:16 PM (IST)Updated: Sun, 29 May 2022 03:16 PM (IST)
इस सप्ताह मैक्रो डेटा और वैश्विक संकेत तय करेंगे शेयर बाजार का रुख: विश्लेषक
इस सप्ताह मैक्रो डेटा और वैश्विक संकेत तय करेंगे शेयर बाजार का रुख: विश्लेषक

नई दिल्ली, पीटीआइ। विश्लेषकों का कहना है कि महंगाई बढ़ने को लेकर जारी चिंताओं के बीच वैश्विक रूझान और इस सप्ताह जारी होने वाले मैक्रोइकॉनॉमिक डेटा का शेयर बाजारों में कारोबारी गतिविधियों पर असर होगा। विश्लेषकों के अनुसार, इस सप्ताह यही बाजार की दिशा तय करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) पर भी नजर होगी और उनकी गतिविधियों को संकेतों के रूप में लिया जा सकता है।

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स्वास्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा कि 'इस सप्ताह बाजार पर मैक्रो डेटा का असर दिखेगा। घरेलू मोर्चे पर जीडीपी, ऑटो बिक्री और पीएमआई के आंकड़े फैक्टर का काम करेंगे जबकि विभिन्न देशों के पीएमआई आंकड़े और अमेरिका का बेरोजगारी डेटा महत्वपूर्ण वैश्विक मैक्रो डेटा के रूप में बाजार पर प्रभाव डालेंगे।' उन्होंने कहा कि इन सबके बीच डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल की कीमतों का असर बाजार को अस्थिर बनाएगा।

संतोष मीणा ने कहा कि 'एफआईआई अभी भी बिक्री कर रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वह भारतीय बाजार में बेहतर धारणाओं के बीच कुछ खरीदारी करना शुरू करेंगे।' वहीं, रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड में रिसर्च विभाग के वीपी अजीत मिश्रा ने कहा कि 'इस सप्ताह नया महीना भी शुरू होगा और निवेशकों की नजर ऑटो बिक्री, विनिर्माण तथा सेवाओं के पीएमआई डेटा जैसे महत्वपूर्ण डेटा पर होगी।' मिश्रा ने कहा कि इससे पहले 31 मई को जारी होने वाले जीडीपी डेटा पर सबकी नजर होगी।'

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, 'पिछले हफ्ते के अंत तक बाजार अमेरिका में अनुकूल खुदरा आय और एफआईआई की बिक्री में कमी के बाद अपने नुकसान की भरपाई करने में सक्षम था। इसे बनाए रखने के लिए जून में फेड और आरबीआई द्वारा की जाने वाली कार्रवाई एक महत्वपूर्ण कारक होगी।" इसके अलावा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ब्रेंट कच्चे तेल और रुपये की स्थिति पर भी निवेशकों द्वारा नजर रखी जाएगी।


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