किसानों के विरोध प्रदर्शनों से रोज हो रहा 3500 करोड़ रुपये का नुकसान, जल्द निकाला जाए समाधान: ASSOCHAM
देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) ने सरकार और किसान संगठनों से किसानों के मुद्दों का शीघ्र समाधान करने का अनुरोध किया है। एसोचैम ने कहा कि किसानों के विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के चलते हर दिन 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम (ASSOCHAM) ने सरकार और किसान संगठनों से किसानों के मुद्दों का शीघ्र समाधान करने का अनुरोध किया है। एसोचैम ने कहा कि किसानों के विरोध प्रदर्शन और आंदोलन के चलते हर दिन 3500 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। एसोचैम ने मंगलवार को कहा कि मौजूदा विरोध प्रदर्शनों से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश क्षेत्र की परस्पर अर्थव्यवस्थाओं को बड़ा नुकसान हो रहा है।
ASSOCHAM calls for early resolution of farmers' issues, states, "farmers' protest resulting in a daily loss of Rs 3500 crores" pic.twitter.com/Hd3MiV7she
— ANI (@ANI) December 15, 2020
एसोचैम ने कहा कि इन राज्यों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि और बागवानी पर आधारित है। फूड प्रोसेसिंग, कॉटन टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल, फॉर्म मशीनरी, आईटी आदि विभिन्न उद्योग इन राज्यों की लाइफलाइन है। इसके अलावा टूरिज्म, ट्रेडिंग, ट्रांसपोर्ट और हॉस्पिटैलिटी जैसी विभिन्न जीवंत सेवाएं इस क्षेत्र को मजबूती प्रदान करती हैं। एसोचैम ने कहा कि ये राज्य उद्यमी किसानों, उद्यमियों और नवाचारों के लिए जाने जाते हैं।
एसोचैम के प्रेसिडेंट डॉ निरंजन हीरानंदानी ने कहा, 'पंजाब, हरियाणा, हमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की संयुक्त अर्थव्यवस्था का आकार करीब 18 लाख करोड़ रुपये है। किसानों के मौजूदा विरोध प्रदर्शन और रोड़, टोल प्लाजा व रेलवे का चक्का-जाम करने से आर्थिक गतिविधियों को बड़ी क्षति पहुंची है।'
हीरानंदानी ने आगे कहा, 'टेक्सटाइल, ऑटो कंपोनेंट्स, साइकिल, स्पोर्ट्स के सामान जैसे निर्यात बाजार में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी रखने वाले उद्योग क्रिसमस के इस सीजन में अपने ऑडर्स को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इससे वैश्विक खरीदारों के बीच हमारी साख घट रही है।'
एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि देशभर में फलों और सब्जियों की कीमतों में वृद्धि के पीछे एक बड़ा कारण सप्लाई चेन में रुकावट भी है, क्योंकि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र इन वस्तुओं का एक बड़ा उत्पादक है।