Move to Jagran APP

टैक्स फ्री ग्रैच्युटी की सीमा को 20 लाख करने वाला बिल लोकसभा में हुआ पास

1961 एक्ट के मुताबिक कर्मचारियों को दी जाने वाली अधिकतम ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख निर्धारित थी, लेकिन अब इस सीमा को हटा दिया गया है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 15 Mar 2018 04:07 PM (IST)Updated: Fri, 16 Mar 2018 07:08 AM (IST)
टैक्स फ्री ग्रैच्युटी की सीमा को 20 लाख करने वाला बिल लोकसभा में हुआ पास

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। लोकसभा ने आज पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी बिल (संशोधन) को मंजूरी दे दी है जो कि सरकार को एक कार्यकारी आदेश के तहत मातृत्व अवकाश और टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की राशि निर्धारित करने का अधिकार देता है। पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी बिल के राज्यसभा में पेश किए जाने के बाद सरकार अब टैक्स फ्री ग्रेच्युटी की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख कर सकती है जो कि मौजूदा समय में 10 लाख निर्धारित है।

loksabha election banner

सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग के कार्यान्वयन के बाद, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए ग्रैच्युटी राशि की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख हो गई। यूनियन इसके अधिनियमों बदलावों की मांग कर रही है। इस बिल को लोकसभा में भारी हंगामें के बीच मंजूरी दी गई है। इस बिल के संबंध में श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि यह कर्मचारियों, विशेषकर महिलाओं के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण कानून है। अब इस विधेयक को विचार और पारित करने के लिए उच्च सदन भेजा जाएगा।

लोकसभा में गुरुवार को दो महत्वपूर्ण संंशोधन विधेयकों को मंजूरी दे दी गई है जिनमें पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल (ग्रैच्युटी संशोधन विधेयक का भुगतान) और स्पेसिफिक रिलीफ अमेंडमेंट बिल (विशिष्ट राहत संशोधन विधेयक) शाम। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी माना कि इन दोनों बिलों पर चर्चा होनी चाहिए, विशेषकर पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी अमेंडमेंट बिल पर लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण उन्होंने श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार को इस बिल के अमेंडमेंट के लिए मंजूरी दे दी।

केंद्र सरकार दे सकती है 26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव:

1961 एक्ट के तहत पहले मैटरनिटी लीव की अधिकतम सीमा 12 हफ्तों की थी, लेकिन अब मैटरनिटी बेनिफिट (अमेंडमेंट) एक्ट 2017 के तहत इसे बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दिया गया है। इस बिल में 1972 के अधिनियम में 12 सप्ताह की लिमिट को हटा दिया गया है। अब यह बिल केंद्र सरकार को अधिकार देता है कि वह अधिकतम मैटरनिटी लीव की संख्या को तय कर सके।

कर्मचारियों को मिल सकती है 20 लाख तक के टैक्स फ्री ग्रेच्युटी:

1961 एक्ट के मुताबिक प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को दी जाने वाली अधिकतम ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख निर्धारित थी, लेकिन अब इस सीमा को हटा दिया गया है। इसमें कहा गया है कि इसकी सीमा को केंद्र सरकार की ओर से अधिसूचित किया जा सकता है। बिल में संशोधन के बाद अब प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों को 20 लाख रुपए तक टैक्स फ्री ग्रेच्युटी दी जा सकती है। मौजूदा समय में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों को 5 साल के सेवाकाल के उपरांत 10 लाख तक की टैक्सफ्री ग्रेच्युटी दिए जाने का प्रावधान है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ-साथ संगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी 20 लाख रुपये की कर मुक्त ग्रैच्युटी प्रदान करना चाहती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.