लॉकडाउन की वजह से स्थानीय व्यापार प्रभावित, चीन के आईटी सेक्टर से जुड़े सामानों को लेकर हो रही दिक्कत
व्यापारियों ने कीमतों में वृद्धि के पीछे अपने खेपों की निकासी शुल्कों को कम करने और स्टॉक को खाली करने में देरी को बताया है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं।
नई दिल्ली, आइएएनएस। कोरोनावायरस के बीच भारत और चीन के बीच जारी तनाव अर्थव्यवस्था के लिए काफी महंगा साबित हो रहा है। करीब 15 दिन पहले लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सशस्त्र बलों के बीच झड़प के बाद चीन से इलेक्ट्रॉनिक सामानों के व्यापार पर अनौपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया गया है। पिछले 15 दिनों के दौरान गतिरोध के ठीक बाद सीमा शुल्क अधिकारियों ने किसी भी मंजूरी जारी करने से पहले बंदरगाहों पर चीन के सामानों की 100 फीसद तक जांच कर रहे हैं।
इस कदम ने आयातकों को बंदरगाहों पर विलम्ब शुल्क के अतिरिक्त भुगतान करने के लिए मजबूर किया है, जिसके परिणामस्वरूप बाजार में चीन-आयातित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की कीमतों में 50 फीसद तक की वृद्धि हुई है। भारत के सबसे प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक और आईटी सामानों के बाजार में दिल्ली के नेहरू प्लेस के व्यापारियों ने चीन से आयातित इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की कीमतों में 50 फीसद तक की बढ़ोतरी की है। व्यापारियों ने कीमतों में वृद्धि के पीछे अपने खेपों की निकासी, शुल्कों को कम करने और स्टॉक को खाली करने में देरी को बताया है। उन्होंने कहा कि हम ऐसा करने के लिए मजबूर हैं।
हमारी खेप बंदरगाहों पर कई दिनों से अटकी हुई है। हमें बताया गया है कि खेपों को 100 फीसद जांच के बाद ही मंजूरी दी जाएगी। चूंकि खेपों को मंजूरी नहीं मिली है, इसलिए हमें बंदरगाह अधिकारियों द्वारा प्रतिदिन लगाए जाने वाले भारी विलम्ब का भुगतान करना होगा। नेहरू प्लेस में इलेक्ट्रॉनिक्स और कंप्यूटर उपकरणों के आयातक मुनीश शर्मा ने कहा कि इस अतिरिक्त खर्च को हम वहन करने के लिए मजबूर हैं, माल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। शर्मा ने कहा कि पहले, अधिकारी खेपों को मंजूरी दे देते थे। चीन 2 से 3 फीसदी माल की जांच करने के बाद ले जाता है।