कंपनियों के सामने घरेलू फंड का टोटा, पहली छमाही में वाणिज्यिक सेक्टर को मिलने वाला कर्ज 60 फीसद घटा
आरबीआइ के मुताबिक गैर बैंकिंग सेक्टर से मिलने वाले कर्ज की बात करें तो यह राशि अप्रैल-सितंबर 2019 में 447006 करोड़ रुपये रही है
नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। क्या देश के कॉरपोरेट सेक्टर का भरोसा घरेलू बैंकिंग सेक्टर से कम हो गया है? या फिर घरेलू बैंकिंग व गैर बैंकिंग सेक्टर से कर्ज मिलना मुश्किल हो गया है? वजह चाहे जो भी हो लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि कॉरपोरेट सेक्टर की ओर घरेलू स्रोतों से वित्तीय संसाधन जुटाने की गति कम हुई है। यह भी नहीं जा कहा जा सकता है कि कंपनियों की तरफ से ही मांग कम हो गई है, क्योंकि यही कॉरपोरेट सेक्टर विदेश से जमकर कर्ज ले रहा है या फंड जुटा रहा है।
चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीने की बात करें तो बैंकों की तरफ से इंडस्ट्री व सर्विस सेक्टर को दिए जाने वाले बैंकिंग कर्ज में 52,971 करोड़ रुपये की कमी हुई है जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में 3,65,647 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी।
आरबीआइ के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018-19 में 12,29,977 करोड़ रुपये का बैंकिंग कर्ज गैर खाद्य सेक्टर (कृषि के अलावा मैन्यूफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर) को दिया गया था। चालू वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में वाणिज्यिक सेक्टर को कुल 3,94,035 करोड़ रुपये का कर्ज दिया गया है। पिछले वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में यह राशि 9,93,312 करोड़ रुपये की थी। इस तरह इस राशि में 60 फीसद की कमी हुई है। आरबीआइ के मुताबिक गैर बैंकिंग सेक्टर से मिलने वाले कर्ज की बात करें तो यह राशि अप्रैल-सितंबर, 2019 में 4,47,006 करोड़ रुपये रही है जबकि अप्रैल-सितंबर, 2018 में यह राशि 6,27,666 करोड़ रुपये की थी।
वैसे सितंबर, 2019 के बाद कर्ज की रफ्तार बढ़ी है लेकिन यह पिछले वर्ष के स्तर को छू पाएगी, इसमें संदेह है। बाद के दो महीनों में वाणिज्यिक सेक्टर को दिए जाने वाले कर्ज की रफ्तार बढ़ी है। वित्त मंत्रालय का दावा है कि त्योहारों के दो महीनों (अक्टूबर-नवंबर) में 4.91 लाख करोड़ रुपये का कर्ज वितरित किया गया है। इसमें कृषि क्षेत्र समेत हर तरह के कर्ज शामिल हैं।
कंपनियों का नहीं बढ़ रहा उत्साह
आंकड़े यह भी बताते हैं कि फरवरी, 2019 के बाद से ब्याज दरों में कटौती करने की तमाम कोशिशों से भी घरेलू कंपनियां उत्साहित नहीं हैं। उनके लिए देश के बैंकों से कर्ज लेना अब भी मुश्किल बना हुआ है। हालांकि इस दिशा में राहत देने के लिए रिजर्व बैंक ने लगातार पांच बार रेपो रेट में कटौती का कदम उठाया। फरवरी, 2019 के बाद से आरबीआइ ब्याज दरों में कटौती के लिए रेपो रेट में 1.35 फीसद की भारी भरकम कटौती कर चुका है।
विदेश से जुटाया जा रहा फंड
इसी अवधि में कॉरपोरेट सेक्टर ने 2.49 लाख करोड़ रुपये की राशि विदेश से जुटाई है। पिछले वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में 1,39,075 करोड़ रुपये की राशि विदेश से जुटाई गई थी। विदेशी वाणिज्यिक ऋण (ईसीबी) की तरफ खास तौर पर कंपनियां आकर्षित हुई हैं। इससे पिछले वर्ष जहां 4,070 करोड़ रुपये ही जुटाए गए थे, इस वित्त वर्ष के पहले छह महीनों में 52,119 करोड़ रुपये की राशि जुटाई गई है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा एफडीआइ का है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से आने वाली राशि इस दौरान 1,58,386 करोड़ रुपये से बढ़कर 1,83,490 करोड़ रुपये की हो गई है।