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मिस्त्री बनाम टाटा: लॉ ट्रिब्यूनल ने कहा कि देश की साख खतरे में

मुंबई के राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में टाटा संस और साइरस मिस्त्री के बीच जारी कानूनी लड़ाई पर सुनवाई करते हुए ट्राइब्यूनल ने कहा कि इससे सिर्फ टाटा की ही नहीं बल्कि देश की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Thu, 22 Dec 2016 07:39 PM (IST)Updated: Thu, 22 Dec 2016 07:41 PM (IST)

नई दिल्ली: मुंबई के राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण में टाटा संस और साइरस मिस्त्री के बीच जारी कानूनी लड़ाई पर सुनवाई का गुरुवार को पहला दिन था। इस बेंच ने साइरस इन्वेस्टमेंट्स और स्टर्लिंग इंवेस्टमेंट कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड को किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया जिसने टाटा संस (100 बिलियन डॉलर की समूह कंपनी) के चेयरमैन के रूप में साइरस मिस्त्री को हटाने पर अंतरिम रोक के लिए ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था।

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ट्राइब्यूनल ने इशारा किया है कि इस मुद्दे पर शीघ्रता से निर्णय लिया जाना चाहिए। न्यायमूर्ति बीएसवी प्रकाश कुमार ने कहा कि "इससे सिर्फ टाटा की ही नहीं बल्कि देश की प्रतिष्ठा भी दांव पर है।” साइरस इन्वेस्टमेंट्स और स्टर्लिंग इंवेस्टमेंट कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड की मालिकाना हक मिस्त्री के परिवार के पास है जो कि टाटा संस में 18.3 फीसदी की हिस्सेदारी रखता है। वहीं टाटा ट्रस्ट का नेतृत्व रतन टाटा करते हैं जिनके पास कंपनी का 66 फीसदी स्टेक है।

अदालत ने आदेश दिया है कि कोई भी नया मामला किसी भी अदालत में दायर नहीं किया जाएगा। करीब दो घंटे तक चली यह सुनवाई आज सुबह 10:30 बजे शुरु हुई थी। इसमें साइरस इन्वेस्टमेंट की पैरवी कर रहे सीनियर वकील आर्यमा सुंदरम ने टाटा संस पर आरोप लगाया कि उस लेख का दुरुपयोग किया गया है जिसमें बहुमत के शेयरधारकों को भारी शक्तियां दी गईं। साथ ही ट्राइब्यूनल ने यह भी कहा कि इस मामले के निर्णय में किसी भी तरह की देरी अन्य कंपनियों पर व्यापक तौर पर असर डालेगी।


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