कोटक महिंद्रा बैंक को प्रमोटर्स की हिस्सेदारी में कमी की मिली अनुमति, जानें पूरा घटनाक्रम
कोटक महिंद्रा समूह की फाइनेंशियल शाखा कोटक महिंद्रा फाइनेंस को 2003 में आरबीआई से बैंकिंग लाइसेंस मिला था।
नई दिल्ली, पीटीआइ। रिजर्व बैंक ने निजी क्षेत्र के कोटक महिंद्रा बैंक में प्रवर्तकों (प्रमोटर्स) की हिस्सेदारी को घटाकर 26 फीसद करने को अपनी मंजूरी दे दी। प्राइवेट सेक्टर बैंक ने बुधवार को इस बात की जानकारी दी। इससे पहले 30 जनवरी को बैंक ने अंतिम मंजूरी मिलने के छह माह के भीतर प्रमोटर्स की हिस्सेदारी को घटाकर 26 फीसद पर लाने की आरबीआई की सैद्धांतिक-मंजूरी की जानकारी दी थी।
Kotak Mahindra Bank वापस लेगा मुकदमा
कोटक महिंद्रा बैंक ने शेयर बाजारों को जानकारी दी है कि RBI ने इस मामले में 18 फरवरी, 2020 के एक पत्र के जरिए बैंक में प्रमोटर्स की शेयरधारिता कम करने को अपनी मंजूरी दे दी। इसके साथ ही बैंक प्रवर्तकों की हिस्सेदारी घटाने को लेकर बंबई उच्च न्यायालय में आरबीआई के खिलाफ दायर मामले को वापस लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। निजी क्षेत्र के बैंक ने जनवरी में शेयर बाजारों को जानकारी दी थी, ''बैंक बंबई उच्च न्यायालय में दायर 2018 की रिट याचिका संख्या 3542 को वापस ले रही है।''
उदय कोटक हैं बैंक के प्रमोटर
वर्तमान में बैंक में प्रमोटर और प्रमोटर ग्रुप की शेयरधारित 29.96 फीसद पर है। उदय कोटक इस बैंक के प्रमोटर हैं। वह कोटक महिंद्रा बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ भी हैं। आरबीआई के बैंक लाइसेंसिंग से जुड़े नियमों के मुताबिक निजी क्षेत्र के बैंक के प्रमोटर को तीन साल के भीतर शेयरधारिता को घटाकर 40 फीसद पर लाना होता है। इसी नियम के भीतर 10 साल के भीतर शेयरधारिता को 20 फीसद और 15 साल में 15 फीसद के नीचे लाना होता है।
बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त होने वाली पहली एनबीएफसी
साल 2003 में कोटक महिंद्रा समूह की फाइनेंशियल शाखा कोटक महिंद्रा फाइनेंस को आरबीआई की ओर से बैंकिंग लाइसेंस मिला था। कोटक महिंद्रा फाइनेंस भारत की पहली ऐसी एनबीएफसी थी, जिसे आरबीई से बैंकिंग का लाइसेंस मिला था।