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Tata Sons और साइरस मिस्त्री की लड़ाई का ये है मामला, जानिए पूरा घटनाक्रम

NCLAT ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के पद पर बहाल करने का आदेश दिया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 06:47 PM (IST)Updated: Thu, 19 Dec 2019 08:58 AM (IST)
Tata Sons और साइरस मिस्त्री की लड़ाई का ये है मामला, जानिए पूरा घटनाक्रम
Tata Sons और साइरस मिस्त्री की लड़ाई का ये है मामला, जानिए पूरा घटनाक्रम

नई दिल्ली, पीटीआइ। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने बुधवार को टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को बड़ी राहत दी है। ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री को पद से हटाने को अवैध करार दिया है। एनसीएलटी ने अब मिस्त्री को फिर से पद पर बहाल करने का आदेश दिया है। इस आदेश से अब साइरस मिस्त्री तीन सालों के बाद एक बार फिर टाटा संस के अध्यक्ष बनेंगे। हालांकि टाटा संस को फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए चार हफ्तों का समय मिला है। आइए क्रमवार जानते हैं कि टाटा-मिस्त्री मामला क्या है।

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24 अक्टूबर 2016:  साइरस मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था और ग्रुप के अंतरिम अध्यक्ष के रूप में रतन टाटा को नामित किया गया।

20 दिसंबर 2016: मिस्त्री परिवार समर्थित दो कंपनियां, साइरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स कॉरपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड एनसीएलटी की मुंबई ब्रांच चली गईं। इन्होंने टाटा संस पर अल्पसंख्यक शेयरधारकों के उत्पीड़न और कूप्रबंधन का आरोप लगाया।

12 जनवरी 2017: टाटा संस में एन चंद्रशेखरन को ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया।

6 फरवरी 2017: टाटा संस के बोर्ड के डायरेक्ट के पद से मिस्त्री को हटा दिया गया।

17 अप्रैल 2017: एनसीएलटी मुंबई ने मामले को खारिज कर दिया। ट्रिब्युनल ने कहा कि मिस्त्री इस तरह का मामला दायर कराने के पात्र ही नहीं हैं। गौरतलब है कि कंपनी कानून, 2013 की धारा 244 कंपनी के किसी स्टेकहोल्डर को कंपनी के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मामला दर्ज कराने का अधिकार देती है, लेकिन इसके लिए यह जरूरी है कि कंपनी के निर्गमित शेयरों का कम से कम 10 फीसद हिस्सा उसके पास होना चाहिए।

27 अप्रैल 2017: अब इन्वेस्टमेंट फर्म उनकी याचिका को खारिज करने के एनसीएलटी के आदेश को चुनौती देते हुए एनसीएलएटी में गई।

21 सितंबर 2017: एनसीएलएटी ने इन दो इन्वेस्टमेंट फर्मों द्वारा टाटा संस के खिलाफ उत्पीड़न और कूप्रबंधन का मामला दाखिल करने में छूट चाहने की दलीलों को अनुमति दी। अपीलीय न्यायाधिकरण ने 10 फीसद शेयरधारिता की शर्त को हटा दिया और एनसीएलटी की मुंबई बैंच को नोटिस जारी करने और मामले में कार्रवाही को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया।

5 अक्टूबर 2017: इन दो इन्वेस्टमेंट फर्मों ने एनसीएलटी दिल्ली की मुख्य पीठ में पक्षपात की संभावना का हवाला देते हुए मामले को मुंबई से दिल्ली ट्रांसफर करने का निवेदन किया।

6 अक्टूबर 2017: एनसीएलटी की मुख्य पीठ ने दो इन्वेस्टमेंट फर्म्स की याचिका को रद्द कर दिया और दोनो फर्मों से 10 लाख रुपये भरने को कहा, जो दोनों को मिलकर देना था।

9 जुलाई 2018: एनसीएलटी मुंबई ने मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाने को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही रतन टाटा और कंपनी के बोर्ड पर दुराचार के आरोप को भी खारिज कर दिया। एनसीएलटी ने कहा कि टाटा ग्रुप फर्म्स में कूप्रबंधन के आरोपों में कोई सत्यता नहीं मिली है। 

3 अगस्त 2018: अब दोनों इन्वेस्टमेंट फर्म मिस्त्री को टाटा संस के चेयरमैन पद से हटाने को चुनौती की याचिका को खारिज करने के एनसीएलटी के आदेश के खिलाफ एनसीएलएटी में गईं।

29 अगस्त 2019: एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री द्वारा निजी स्तर पर दाखिल की गई चायिका को स्वीकार किया और दो इन्वेस्टमेंट फर्मों द्वारा दाखिल मुख्य याचिकाओं की भी सुनवाई करने का निर्णय लिया। 

23 मई 2019: एनसीएलएटी ने मामले में सुनवाई के पूरी हो जाने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

18 दिसंबर 2019: एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री को टाटा संस के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन के पद पर बहाल करने का आदेश दिया। हालांकि, फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए टाटा संस ने चार सप्ताह का समय मांगा है, जिसे एनसीएलएटी ने मंजूर कर लिया है।


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