माल्या का कर्ज माफ नहीं किया गया, एनपीए में बदला गया है: जेटली
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से 7,016 करोड़ रुपए के एनपीए को राइट ऑफ किए जाने के बाद बुधवार को राज्यसभा में नोटबंदी पर चर्चा के दौरान विजय माल्या का नाम भी उछला
नई दिल्ली: स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से 7,016 करोड़ रुपए के एनपीए को राइट ऑफ किए जाने के बाद बुधवार को राज्यसभा में नोटबंदी पर चर्चा के दौरान विजय माल्या का नाम भी उछला। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने केंद्र सरकार पर सीधा हमला करते हुए कहा कि सरकार ब्लैकमनी पर रोक लगाने के लिए एक तरफ तो नोटबंदी कर रही है वहीं दूसरी तरफ बैंक लोन डिफॉल्टर विजय माल्या का लोन माफ किया जा रहा है। येचुरी के इस आरोप का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि माल्या के कर्ज को माफ नहीं किया गया, बल्कि राइट ऑफ किया गया है। उन्होंने कहा कि राइट ऑफ का मतलब माफ करना नहीं होता, बल्कि नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स करार देना होता है।
येचुरी ने क्यों उछाला माल्या का नाम:
दरअसल, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने अपने 7,016 करोड़ रुपए के एनपीए को राइट ऑफ कर दिया है। इस राइट ऑफ में भगोड़ा घोषित हो चुके शराब करोबारी विजय माल्या के 1,201 करोड़ रुपए का लोन भी शामिल है।
माल्या पर है कितने बैंकों की देनदारी:
दिग्गज शराब कारोबारी विजय माल्या एसबीआई के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम के 9 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के डिफॉल्टर हैं। माल्या इसी साल 2 मार्च को देश छोड़कर लंदन में जा बसे हैं।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक एसबीआई ने 63 डिफाल्टरों का पूरा कर्ज डूबा हुआ मान लिया है। 31 कर्जदारों का लोन आंशिक तौर पर छोड़ा गया है। छह अन्य कर्जदारों पर बकाया लोन को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित कर दिया गया है। आपको बता दें कि 30 जून 2016 तक एसबीआई 48 हजार करोड़ रुपए का बैड लोन राइट ऑफ कर चुका है।
जानिए क्या है विजय माल्या से जुड़ा मामला?
- विजय माल्या पर 17 बैंकों का 9000 करोड़ रुपए का बकाया है।
- स्टेट बैंक ने वर्ष 2015 में माल्या को विलफुल डिफॉल्टर करार दिया था। इसके बाद कई और बैंक भी ऐसा कर चुके हैं।
- विजय माल्या के साथ उनकी होल्डिंग कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स और किंगफिशर एयरलाइन्स को भी विलफुल डिफॉल्टर हैं।
- माल्या की किंगफिशर एयरलाइन्स अक्टूबर 2012 से बंद पड़ी है। विजय माल्या किंगफिशर एयरलाइन्स चलाते थे। इस कंपनी का घाटा साल-दर-साल बढ़ता रहा। वे बैंकों से लगातार कर्ज लेते रहे।
- उन पर बकाया कर्ज 9000 करोड़ रुपए तक हो गया। उनके ट्रेडमार्क सीज किए गए। लेकिन पूरी रिकवरी नहीं हो पाई।
- फरवरी में बैंकों ने पहले कर्ज रिकवरी ट्रिब्यूनल और फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
- फरवरी में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को सरकार के ही वकीलों ने बताया कि माल्या 2 मार्च को देश छोड़कर जा चुके हैं।
- माल्या के खिलाफ सीबीआई जांच कर रही है।