चीनी का स्टॉक बढ़ने से इस्मा ने जताई चिंता
चीनी का मूल्य उत्पादन लागत से नीचे चले जाने पर इस्मा ने चिंता जताई है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। घरेलू चीनी उद्योग के सामने अनबिके स्टॉक से समस्याएं बढ़ने लगी हैं। लगभग सभी राज्यों की चीनी मिलें गन्ना मूल्य के भुगतान संकट के दौर से गुजर रही हैं। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) का अनुमान है कि मार्च अंत तक गन्ना एरियर अपने उच्चतम स्तर तक पहुंच सकता है। इससे कई स्तरों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
इस्मा के आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी तक गन्ना मूल्य बकाया बढ़कर हजार करोड़ रुपये हो गया था। मार्च अंत तक यह बढ़कर 20 हजार करोड़ की सीमा भी पार कर सकता है। पेराई सीजन समाप्त होने के साथ ही किसानों की मांग तेज हो जाएगी। स्टॉक बढ़ने से घरेलू बाजार में मूल्य बहुत नीचे चल रहे हैं, जो लागत मूल्य से भी कम हो गए हैं। इससे मिलों का घाटा लगातार बढ़ रहा है। इस्मा ने केंद्र सरकार से चीनी निर्यात शुल्क को तत्काल हटाने की मांग की है। उन्होंने कम से कम 20 लाख टन चीनी निर्यात कोटा जारी करने को कहा है। इससे चीनी का निर्यात खुल सकता है, जिससे घरेलू बाजार में सक्रियता बढ़ेगी और कीमतों में सुधार हो सकता है।
वित्त मंत्रालय इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इस्मा के आंकड़ों के मुताबिक चालू पेराई सीजन (अक्तूबर से सितंबर) में 15 मार्च, 2018 तक 2.58 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। अनुमान है कि पूरे सीजन में कुल 2.95 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होगा। उत्पादन में महाराष्ट्र की 93.8 लाख टन, उत्तर प्रदेश की 84.3 लाख व कर्नाटक की 35.1 लाख टन की भागीदारी है। उत्पादन में भारत ब्राजील के बाद दुनिया में दूसरे पायदान पर है। चीनी का मूल्य उत्पादन लागत से नीचे चले जाने पर इस्मा ने चिंता जताई है।