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स्टार्ट-अप कंपनियों की शेयर बाजारों में लिस्टिंग के लिए लागू हुए नए मानक, पूंजी जुटाने में मिलेगी सुविधा

नए बदलावों के तहत सूचीबद्ध स्टार्ट-अप कंपनियों की गैर-सूचीबद्धता के लिए जरूरतों और कागजी प्रक्रियाओं को भी आसान कर दिया गया है। इसके साथ ही शेयर बाजारों के मुख्य सूचकांकों में सूचीबद्धता के लिए भी मानक आसान किए गए हैं।

By Pawan JayaswalEdited By: Published: Sat, 08 May 2021 08:54 AM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 07:41 AM (IST)
स्टार्ट-अप कंपनियों की शेयर बाजारों में लिस्टिंग के लिए लागू हुए नए मानक, पूंजी जुटाने में मिलेगी सुविधा
स्टार्ड-अप्स के लिए प्रतीकात्मक तस्वीर P C : Pixabay

नई दिल्ली, पीटीआइ। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने स्टार्ट-अप कंपनियों के लिए शेयर बाजारों में सूचीबद्धता के आसान मानक अधिसूचित कर दिए हैं। इसका मकसद अधिक से अधिक स्टार्ट-अप कंपनियों को सूचीबद्धता के लिए प्रेरित करना है। आसान किए गए मानकों में पात्र निवेशकों को अपनी मर्जी से शेयर जारी करने का विशेष अधिकार भी शामिल है। इस सप्ताह बुधवार को जारी दो अधिसूचनाओं के अनुसार, इनोवेटर्स ग्रोथ प्लेटफॉर्म (आइजीपी) पर सूचीबद्धता के फ्रेमवर्क में बदलाव किए गए हैं। इस बारे में एक प्रस्ताव को सेबी के निदेशक बोर्ड ने इस वर्ष मार्च में मंजूरी दे दी थी।

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नए बदलावों के तहत सूचीबद्ध स्टार्ट-अप कंपनियों की गैर-सूचीबद्धता के लिए जरूरतों और कागजी प्रक्रियाओं को भी आसान कर दिया गया है। इसके साथ ही शेयर बाजारों के मुख्य सूचकांकों में सूचीबद्धता के लिए भी मानक आसान किए गए हैं। देशभर में स्टार्ट-अप कंपनियों को जिस तरह से बढ़ावा मिल रहा है और युवा उद्यमी सामने आ रहे हैं, उसे देखते हुए यह बेहद जरूरी था कि शेयर बाजार के प्रमुख प्लेटफॉ‌र्म्स तक ऐसी कंपनियों की पहुंच की प्रक्रिया आसान हो।

नए मानकों में एक बड़ा बदलाव यह है कि शेयर जारीकर्ता स्टार्ट-अप कंपनी या सूचीबद्ध होने को तैयार स्टार्ट-अप के पास कम से कम 25 फीसद ईश्यू पूंजी दो वर्षो तक होनी जरूरी थी, जिसे अब एक वर्ष कर दिया गया है।

आइजीपी को मजबूती देने के उद्देश्य से सेबी ने मान्यताप्राप्त निवेशकों को 'आइजीपी निवेशक' का दर्जा दिया है। इतना ही नहीं, वर्तमान में ऐसे निवेशकों को अब प्री-ईश्यू कैपिटल का 25 फीसद तक रखने की इजाजत होगी, जो इससे पहले 10 फीसद ही थी।

इन कंपनियों को शेयर बाजार के मुख्य सूचकांक में सूचीबद्ध होने की सूरत में सेबी ने कहा है कि ये कंपनियां ईश्यू खुलने से पहले 60 फीसद तक हिस्सेदारी पात्र निवेशकों को दे सकती हैं। इसके लिए शर्त यह होगी कि ये निवेशक ऐसी हिस्सेदारी 30 दिनों से पहले नहीं बेच सकेंगे। वर्तमान में ऐसी कंपनियों को अपनी इच्छा से किसी भी निवेशक को हिस्सेदारी आवंटित करने का अधिकार नहीं है। ऐसी कंपनियों के लिए ओपन ऑफर की सीमा भी मौजूदा 49 फीसद से घटाकर 25 फीसद कर दी गई है।

शेयर बाजारों को मिला मजबूत स्टॉक्स का दम

घरेलू शेयर बाजारों को सप्ताह के आखिरी कारोबारी सत्र में चुनिंदा मजबूत स्टॉक्स का दम मिला। शुक्रवार को बीएसई का 30-शेयरों वाला प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 256.71 अंक यानी 0.52 फीसद चढ़कर 49,206.47 पर बंद हुआ। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का 50-शेयरों वाला निफ्टी भी शुक्रवार को 98.35 अंक यानी 0.67 फीसद सुधरकर 14,823.15 पर स्थिर हुआ। पूरे सप्ताह के दौरान सेंसेक्स में 424.11 अंकों और निफ्टी में 192.05 अंकों का सुधार हुआ।

सेंसेक्स पैक में शुक्रवार को सबसे ज्यादा 2.70 फीसद का उछाल एचडीएफसी के शेयरों में आया। महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज फिनसर्व, एनटीपीसी, भारती एयरटेल, आइटीसी, ओएनजीसी तथा अल्ट्राटेक सीमेंट के शेयर भी 2.68 फीसद तक मजबूत हुए। सेक्टोरल इंडेक्स के मामले में बीएसई के मेटल, बेसिक मैटीरियल्स, टेलीकॉम, पावर, रियल्टी, ऑयल व गैस, यूटिलिटीज तथा फाइनेंस 5.29 फीसद तक चढ़कर बंद हुए। बीएई के मिडकैप में 0.04 फीसद की गिरावट आई, जबकि स्मॉलकैप इंडेक्स 0.15 फीसद मजबूत होकर बंद हुआ।


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