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एक्सप्रेसवे, वाटरवेज में निजी निवेश को आमंत्रण

स्वच्छ गंगा परियोजना के तहत 280 परियोजनाओं में से करीब 10-15 फीसद पूरी हो चुकी है

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 16 Dec 2018 01:50 PM (IST)Updated: Sun, 16 Dec 2018 02:30 PM (IST)
एक्सप्रेसवे, वाटरवेज में निजी निवेश को आमंत्रण
एक्सप्रेसवे, वाटरवेज में निजी निवेश को आमंत्रण

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को निजी कंपनियों को एक्सप्रेसवे, वाटरवेज, सिंचाई परियोजनाओं और स्वच्छ गंगा मिशन में खुलकर निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। उद्योग संघ फिक्की की 91वीं सालाना आम बैठक को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए सड़क परिवहन और जहाजरानी मंत्री गडकरी ने कहा कि निजी क्षेत्र को तेजी से विकास कर रही एक्सप्रेसवे परियोजनाओं, राजमार्ग परियोजनाओं, वाटरवेज परियोजनाओं, सिंचाई और स्वच्छ गंगा मिशन के तहत आने वाली परियोजनाओं में निवेश करने के बारे में सोचना चाहिए।

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गडकरी ने कहा कि सरकार भूमि अधिग्रहण का खर्च घटाकर 80 लाख रुपये प्रति किलोमीटर पर ले आई है, जो पहले 7.5 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर था। भारतीय रेल को भी बुलेट ट्रेन के लिए भूमि उपलब्ध कराई जा सकती है। दिल्ली के एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेसवे से शहर में वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 60 फीसद गिरावट आएगी, क्योंकि वाहन बिना दिल्ली में प्रवेश किए बाहरी रिंग रोड से निकल जाएंगे। बेंगलुरु-चेन्नई एक्सप्रेस अगले साल जनवरी से चालू हो जाएगा। अभी निर्माणाधीन मुंबई-दिल्ली एक्सप्रेसवे दोनों शहरों की वर्तमान दूरी को 120 किलोमीटर घटा देगा।

उन्होंने लॉजिस्टिक खर्च घटाने के लिए ईंधन के रूप में मीथेनॉल और एलएनजी के उपयोग का सुझाव दिया और कहा कि इस साल के अंत तक सरकार को रोजाना 40 किलोमीटर सड़क निर्माण का लक्ष्य हासिल कर लेने का अनुमान है। सरकार ने 111 नदियों का उपयोग जलमार्ग के रूप में करने का फैसला किया है। स्वच्छ गंगा परियोजना के तहत 280 परियोजनाओं में से करीब 10-15 फीसद पूरी हो चुकी है। स्वच्छता स्थिति में सुधार के लिए नदी के किनारे 150 बायो डाइजेस्टर इकाई लगाई जानी है।

सरकारी कर्ज घटाने पर हो जोर: आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि अगले 4-5 साल तक मुख्य जोर सरकारी कर्ज को घटाने पर होना चाहिए। फिक्की की सालाना आम बैठक में उन्होंने कहा कि वित्तीय घाटा जीडीपी के तीन फीसद के आदर्श स्तर की तरफ बढ़ रहा है और महंगाई में भी कमी आई है। भारत के आर्थिक संकेत दुनिया के मजबूत देशों जैसे हैं। हमारे ऊपर अब भी भारी भरकम सरकारी कर्ज है। अगले 4-5 साल में उस पर ध्यान देना चाहिए। रेटिंग एजेंसियों ने इस कर्ज पर चिंता जताई है। अधिकतर रेटिंग एजेंसियां कर्ज और जीडीपी अनुपात पर बहुत जोर देती हैं।


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