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Investment Tips: Mutual Funds का चयन करते समय रखें इन बातों ख्‍याल, फायदे में रहेंगे आप

Mutual Fund Investment Tips आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि अपने फायदे के लिए एक म्युचुअल फंड का चयन कैसे करना चाहिए।

By Manish MishraEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 12:31 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 02:15 PM (IST)
Investment Tips: Mutual Funds का चयन करते समय रखें इन बातों ख्‍याल, फायदे में रहेंगे आप
Investment Tips: Mutual Funds का चयन करते समय रखें इन बातों ख्‍याल, फायदे में रहेंगे आप

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल रहने के चलते पिछले कुछ सालों से निवेशक म्युचुअल फंड में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं। यहां निवेशकों को जोखिम भी कम उठाना पड़ता है और रिटर्न भी एफडी आदि लोकप्रिय निवेश विकल्पों से अच्छा मिल जाता है। कम जोखिम वाला होने के कारण युवाओं में भी म्युचुअल फंड्स को लेकर अच्छा आकर्षण देखने को मिल रहा है। हालांकि, म्युचुअल फंड्स की कई कैटेगरीज, कई फंड हाउसेज और विभिन्न स्कीम्स उपलब्ध होने के कारण एक निवेशक के लिए उचित म्युचुअल फंड का चयन करना आसान काम नहीं होता है। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि अपने फायदे के लिए एक म्युचुअल फंड का चयन कैसे करना चाहिए।

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परफॉर्मेंस कंपेरिजन

परफॉर्मेंस कंपेरिजन के आधार पर तुलना सिर्फ उसी दशा में करना चाहिए जब समान तरह के फंड हों। जब आप विभिन्न फंड्स के परफॉर्मेंस नंबर्स की तुलना करते हो, तो आपको एक अच्छा आइडिया हो जाता है कि आपको किस कैटेगरी में कितना निवेश करना चाहिए।

जोखिम

लगभग सभी निवेशों में कुछ ना कुछ जोखिम होता ही है, जिन निवेशों में अच्छे रिटर्न की उम्मीद होती है, वहां जोखिम रहना स्वाभाविक ही है। सामान्य तौर पर यह कहा जा सकता है कि जिस फंड में ज्यादा जोखिम होता है, वहां अधिक रिटर्न पाने की गुंजाइश भी होती है। हालांकि, यह पूरा सच नहीं है, क्योंकि सभी फंड एक तरह से व्यवहार नहीं करते हैं। अह हमें देखना यह है कि क्या कोई फंड आपको उस तरह का रिटर्न देने में सक्षम है, जितना उसमें जोखिम है। इसे मापना इतना आसान नहीं होता। इसे मापने के लिए विभिन्न प्रकार की सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया जाता है। जब किसी फंड को चार या पांच स्टार रेटिंग मिलती है, तो उसका मतलब होता है कि अन्य फंडों की तुलना में जोखिम के मुकाबले उस फंड ने अच्छा रिटर्न दिया है।

प्रबंधन

फंड मैनेजमेंट एक क्रिएटिव और पर्सनालिटी ओरिएंटेड एक्टिविटी होती है। छोटी अवधि के फिक्स्ड इनकम फंड्स और इंडेक्स फंड्स जैसे फंड्स के मामले में ऐसा नहीं है, लेकिन इक्विटी इन्वेस्टमेंट एक विज्ञान से ज्यादा एक कला है। आप एक फंड खरीदते हो, क्योंकि आपको उसका ट्रैक रिकॉर्ड पसंद आता है, लेकिन आप वास्तव में एक फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड खरीदते हो। एक फंड मैनेजर ही उसके ट्रैक रिकॉर्ड के लिए जिम्मेदार होता है। एक उच्च परफॉर्मेंस वाला इक्विटी फंड एक नए मैनेजर के साथ एक नए फंड के समान ही होता है।

कीमत

किसी फंड के चयन में कीमत भी एक महत्वपूर्ण पहलू  होता है। फंड मुफ्त में नहीं चलाए जाते हैं, न ही वे समान लागत पर चलाए जाते हैं। भिन्न-भिन्न फंडों की लागत में कोई खास अंतर नहीं होता है, लेकिन फिर भी ये महत्वपूर्ण बदलावों के लिए कंपाउंड कर सकते हैं, विशेष रूप से फिक्स्ड इनकम फंड्स के लिए, जहां फंड्स के बीच परफोर्मेंस का अंतर काफी कम है। इक्विटी फंड्स के मामले में उच्च लागत का फंड लेने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि वे कम लागत वाले फंड्स से बहुत कम ही अच्छे होते हैं।

पोर्टफोलियो

परफॉर्मेंस और जोखिम से इतर पोर्टफोलियो फंड का आंतरिक हिस्सा कहा जा सकता है। आंतरिक इस मामले में कि परिणाम चाहे अच्छा, बुरा या बेहद बुरा हो, पोर्टफोलिया पहले दो बिंदुओं जोखिम और परफॉर्मेंस में ही रिफ्लेक्ट हो जाता है। निवेशक पोर्टफोलियो को दरकिनार कर परफोर्मेंस और जोखिम के आधार पर  भी फंड्स का चयन कर सकते हैं।


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