Fixed deposits और fixed maturity plans में निवेश के ये हैं बड़े फायदे
fixed maturity plans इक्विटी फंडों की तुलना में कम जोखिम भरा है। इंडेक्सेशन बेनिफिट की पेशकश करने के कारण यह प्लान टैक्स को भी कम करता है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मध्यम आय वर्ग और जोखिम लेने से बचने वाले निवेशक पारंपरिक और कम जोखिम वाले निवेश में पैसा लगाना पसंद करते हैं। इक्विटी, इक्विटी से जुड़े म्युचुअल फंडस् और दूसरी मार्केट ट्रेडेबल सिक्युरिटीज जैसे निवेश के विकल्प में लगातार नजर बनाए रखनी होती है। ऐसे में फुल टाइम जॉब करने वाले कर्मचारी इस तरह के अपने निवेश पर नियमित रूप से नजर नहीं रख पाते हैं। ऐसे में इन निवेशकों के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स (FMPs) बेहतर निवेश के विकल्प बन जाते हैं। इन निवेश माध्यमों के जरिए ये निवेशक लॉन्ग टर्म के लिए अच्छा निवेश सकते हैं।
महत्वपूर्ण यह है कि इन दोनों ही निवेश विकल्पों में निवेशक को अपने निवेश को नियमित रूप से ट्रैक करते रहने की जरूरत नहीं होती है। लंबे समय के उद्देश्य के लिए निवेश का विकल्प तलाश रहे लोग अच्छा रिटर्न पाने के लिए फिक्स मैच्योरिटी प्लान ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान क्या है।
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान
यह प्लान एफडी का ही विकल्प होता है। यह एक क्लोज एंडेड म्युचुअल फंड प्लान होता है। इसमें आप एक निश्चित अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं। इसमें मैच्योरिटी की अवधि एक महीने से लेकर पांच साल तक की होती है। इसमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय तीन साल वाली एफएमपी है। यहां रिटर्न भी एफडी की तुलना में ज्यादा मिलता है। इस प्लान में इन्वेस्टर्स के पैसे को फिक्स्ड इनकम सिक्युरिटीज में निवेश किया जाता है। एफएमपी कम जोखिम वाला प्लान है।
ये हैं फायदे
डेट इंस्टूमेंट में निवेश होने के कारण फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान इक्विटी फंडों की तुलना में कम जोखिम भरा है। इंडेक्सेशन बेनिफिट की पेशकश करने के कारण यह प्लान टैक्स को भी कम करता है। इसमें निवेश की लागत भी कम आती है, क्योंकि इंस्ट्रूमेंट की खरीदी और बेचान की लागत बच जाती है।
एफडी और एफएमपी में यह है अंतर
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में यह फायदा है कि इससे फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में अधिक रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है। हालांकि, एफडी के गारंटीड रिटर्न की तुलना में फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में सांकेतिक रिटर्न मिलता है। साथ ही एफएमपी, फिक्स डिपॉजिट की तुलना में जोखिम भरा निवेश विकल्प होता है। इसके अलावा एफएमपी की ब्याज दरों में भी परिवर्तन होता रहता है।