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इंश्योरेंस डिपार्टमेंट में लोकपाल का पद खाली, तेजी से बढ़ रही है शिकायतों की संख्या

बीमा लोकपाल के करीब 17 ऑफिसेज में कोई हेड नहीं है। बीते चार महीनों से कई प्रयासों के बावजूद इनके स्थान रिक्त हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 13 Apr 2018 05:37 PM (IST)Updated: Sat, 14 Apr 2018 07:28 AM (IST)
इंश्योरेंस डिपार्टमेंट में लोकपाल का पद खाली, तेजी से बढ़ रही है शिकायतों की संख्या
इंश्योरेंस डिपार्टमेंट में लोकपाल का पद खाली, तेजी से बढ़ रही है शिकायतों की संख्या

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। अगली बार जब आप अपने क्षेत्र के बीमा लोकपाल के ऑफिस जाएं तो जवाब के लिए महीनों इंतजार करने के लिए तैयार रहें। बीमा लोकपाल के करीब  17 ऑफिसेज में कोई हेड नहीं है। बीते चार महीनों से कई प्रयासों के बावजूद इनके स्थान रिक्त हैं।

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इस मामले की जानकारी रखने वाले एक शख्स ने बताया, “हमें इंश्योरेंस ऑम्बुड्ज़्मैन के स्थान के लिए कई आवेदन आमंत्रित किये हैं। हालांकि, अब इनके स्थान भरने बाकि हैं। हम उम्मीद कर रहे हैं कि यह कार्य हम इस तिमाही के अंत तक पूरा कर लेंगे।”

बीमा लोकपाल एक संस्थान के रूप में 11 नवंबर, 1998 की एक अधिसूचना के जरिए बनाया गया था ताकि बीमा ग्राहकों की शिकायतों का जल्द निवारण किया जा सके। इस अधिसूचना के मुताबिक, लोकपाल के जरूरी होता है कि वह शिकायत मिलने के तीन महीनों के भीतर जरूरी फैसला ले।

अगर पॉलिसीधारक दिये गये निवारण या सुझाव से संतुष्ट नहीं है तो वह कंज्यूमर फोरम या कोर्ट ऑफ लॉ में जा सकता है। बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने इससे पहले बीमा लोकपाल के पद के लिए अहमदाबाद, बेंगलुरू, भोपाल, चेन्नई, चंडीगढ़, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, कोच्चि और मुंबई जैसी जगहों के लिए आवेदन आमंत्रित किये थे। इसके बाद भुवनेश्वर, दिल्ली, कोलकता, लखनऊ, नोएडा, पटना और पुणे में भी यह पद खाली हो गया था।

वित्त वर्ष 2016-17 के अंत तक विभिन्न लोकपाल ऑफिसेज में 2330 केस लंबित हैं। वित्त वर्ष 2017 में 27627 केस मिले थे। इसके बाद इसी साल के दौरान 27990 (वित्त वर्ष 2016 के 2693 लंबित केस समेत) केसों का निवारण कर दिया गया था। इन दफ्तरों में 17 सेंटर्स के लिए 60 करोड़ करोड़ रुपये का वित्तीय पेआउट दिया गया था।


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