Happy New Year 2019: 2018 में महंगाई में रही नरमी, लेकिन किसानों को उठानी पड़ी मुश्किलें
खुदरा के साथ-साथ थोक महंगाई भी पूरे वर्ष के दौरान कम ही रही है, हालांकि पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों ने जरूर आम आदमी को परेशान करने का काम किया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इस वर्ष मुद्रास्फीति देश के नीति-निर्माताओं के लिए सिरदर्द बन गई। विपक्ष ने कृषि उत्पादों के दाम में उल्लेखनीय गिरावट से किसानों को हो रही दिक्कतों को लेकर सरकार को घेरा, जबकि वर्ष 2018 में कीमतों में तेजी की दर लक्षित सीमा से कम ही रही है।
डेटा बताता है कि खुदरा के साथ-साथ थोक महंगाई भी पूरे वर्ष के दौरान कम ही रही है, हालांकि पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों ने जरूर आम आदमी को परेशान करने का काम किया है। खुदरा महंगाई जिसे कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स के आधार पर नापा जाता है, वह 5 फीसद के नीचे ही रही है जो कि आरबीआई के लक्षित स्तर 4 फीसद के आस-पास ही है। सिर्फ जनवरी ऐसा महीना रहा है जब इसने 5 फीसद का स्तर पार किया था।
वहीं थोक महंगाई जिसे होलसेल प्राइज इंडेक्स के आधार पर नापते हैं वो 3 महीने के निचले स्तर के साथ 4.64 पर है। इस साल के दौरान यह कम से कम 2.74 फीसद और अधिकतम 5.68 फीसद के बीच रही। वहीं इस वर्ष के नवंबर महीने में खुदरा महंगाई 2.33 फीसद के स्तर पर पहुंच गई, जो इस साल का न्यूनतम आंकड़ा है। ऐसा खाद्य पदार्थों एवं कुछ कृषि उत्पादों के मूल्य में कमी के कारण देखने को मिला। उपभोक्ताओं के साथ-साथ यह सरकार और आरबीआई के लिए भी अच्छी खबर रही।
हालांकि महंगाई दर की इस स्थिति ने एक तरह की चिंता भी उत्पन्न की। ऐसा इसलिए क्योंकि कृषि उत्पादों के दाम गिरने से किसानों के समक्ष नई तरह के संकट पैदा हो गए हैं। यह संकट उन किसानों के लिए ज्यादा मुश्किलें लेकर आया जिन्होंने कृषि कर्ज लेकर खेती करने का काम किया। हालात कुछ ऐसे हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों के किसान प्याज समेत विभिन्न सब्जियों की लागत तक वसूल नहीं कर पा रहे हैं।