FY18 में 1.7 फीसद रह सकता है देश का चालू खाता घाटा: रिपोर्ट
चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में चालू खाता घाटा बढ़कर 13.5 अरब डॉलर (87,000 करोड़ रुपए) हो गया है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। इस वित्त वर्ष भारत का चालू खाता घाटा जीडीपी के 1.7 फीसद पर रह सकता है। दरअसल ऐसा तेल की ऊंची कीमतों के कारण रह सकता है। ऐसा एक रिपोर्ट में कहा गया है।
दिसंबर तिमाही में चालू खाते घाटे के जीडीपी के अनुपात में 2 फीसद रहने के साथ ही बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) ने चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के लिए अपने चालू खाता घाटा अनुमान को बढ़ा दिया है। वैश्विक वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी ने अपने चालू खाता घाटा (सीएडी) पूर्वानुमान को 10 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी के अनुपात में 1.7 फीसद रह सकता है और वित्त वर्ष 2018-19 में 20 बेसिस प्वाइंट बढ़कर जीडीपी के अनुपात में 1.9 फीसद रह सकता है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर शुक्रवार को जारी डेटा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में चालू खाता घाटा बढ़कर 13.5 अरब डॉलर (87,000 करोड़ रुपए) हो गया है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद का दो फीसद है। चालू खाता घाटा पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आठ अरब डालर (जीडीपी का 1.4 फीसद) था। चिंताजनक तथ्य यह है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) में भी गिरावट आई है।
चालू खाते का आशय देश में विदेशी मुद्रा की कुल आय और व्यय से है। आय से ज्यादा व्यय होने पर चालू खाता घाटा हो जाता है। रिजर्व बैंक के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में चालू खाता घाटा मात्र 7.2 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 1.1 फीसद था। आरबीआई के अनुसार तीसरी तिमाही में निर्यात के मुकाबले आयात अधिक रहने की वजह से व्यापार घाटा बढ़कर 44.1 अरब डॉलर हो गया है, इसी के चलते चालू खाता घाटा बढ़ा है।