सरकार की धमकियों से नहीं डरेगा चीनी उद्योग
चीनी मिल मालिकों ने सरकार की धमकियों के आगे न झुकने का फैसला किया है। उनका कहना है कि सरकार की शर्तो पर पेराई शुरू करना उद्योग के लिए आत्मघाती साबित होगा। इसका खामियाजा चीनी उद्योग के साथ गन्ना किसानों को भी भुगतना पड़ेगा। केंद्र व राज्य सरकार की प्रस्तावित रियायतों को ऊंट के मुंह में जीरा करार देते हुए इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने इसे खारिज कर दिया है। सरकार और चीनी उद्योग के अड़ियल रुख से उत्तर प्रदेश में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीनी मिल मालिकों ने सरकार की धमकियों के आगे न झुकने का फैसला किया है। उनका कहना है कि सरकार की शर्तो पर पेराई शुरू करना उद्योग के लिए आत्मघाती साबित होगा। इसका खामियाजा चीनी उद्योग के साथ गन्ना किसानों को भी भुगतना पड़ेगा। केंद्र व राज्य सरकार की प्रस्तावित रियायतों को ऊंट के मुंह में जीरा करार देते हुए इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने इसे खारिज कर दिया है। सरकार और चीनी उद्योग के अड़ियल रुख से उत्तर प्रदेश में मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पेराई शुरू करने की अंतिम तिथि घोषित करते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी जारी कर दी है। चीनी उद्योग संगठन इस्मा ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए राज्य सरकार से वार्ता जारी रखने की अपील की है। वहीं, केंद्रीय खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने बृहस्पतिवार सुबह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार सी. रंगराजन और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से इसी मसले पर मुलाकात की। बैठक के बाद थॉमस ने कहा कि केंद्र सरकार चीनी उद्योग और गन्ना किसानों की मदद के लिए तैयार है। उन्होंने दोनों पक्षों से पेराई शुरू करने की अपील की है। रंगराजन का हवाला देते हुए थॉमस ने कहा कि उचित व लाभकारी मूल्य (एफआरपी) और राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) के बीच के अंतर के एक हिस्से को राज्य सरकार वहन कर ले तो केंद्र भी मदद कर सकता है।
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उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से लखनऊ में चेतावनी जारी होने के बाद राजधानी दिल्ली में इस्मा ने भी आनन-फानन में पत्रकारों को बुलाकर किसी दबाव में न झुकने की अपनी मंशा जता दी। इस्मा महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि उन्होंने अपनी वित्तीय हालत से सरकार को अवगत करा दिया है। घाटे में फंसे राज्य के चीनी उद्योग रंगराजन फार्मूले पर अमल से कम पर तैयार नहीं है। यानी चीनी मूल्य का 75 फीसद गन्ना मूल्य के रूप में दिया जाए। वर्मा ने कहा कि कठिन परिस्थितियों में ही मिल मालिकों ने पेराई से हाथ पीछे खींचा है।
किसानों की नहीं सुन रहा कोई
राज्य के 40 लाख गन्ना किसानों के हित संरक्षण की आवाज कहीं से नहीं उठ रही है। चीनी मूल्य कम होने से अगर मिलें घाटे में हैं तो क्या इससे गन्ना खेती की लागत घट गई है? इसी बात को लेकर किसान जागृति मंच के संयोजक सुधीर पंवार व्यथित हैं। उनकी राय है कि केंद्र सरकार चाहे तो रिलीज मेकेनिज्म अपने हाथ में लेकर चीनी मूल्य को ठीक कर सकती है। मूल्य में सुधार होने के साथ ही गन्ना किसान और चीनी उद्योग की मुश्किलें कम हो जाएंगी।
राजनाथ बोले, गन्ना किसानों के साथ सपा ने किया छल
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। चीनी उद्योग संकट का ठीकरा भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने उत्तर प्रदेश की सपा सरकार पर फोड़ दिया है। गन्ना किसानों के साथ अन्याय का आरोप लगाते हुए राजनाथ ने कहा कि निजी चीनी कंपनियों को तो सहूलियतें दी जा रही हैं, लेकिन किसानों को वाजिब दाम नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने सरकार से बंद पड़ी चीनी मिलों को चालू कराने और गन्ना किसानों बकाया भुगतान करने की मांग भी है।
राजनाथ ने बृहस्पतिवार को जारी बयान में कहा कि समाजवादी पार्टी ने धोखा किया है। चुनाव से पहले गन्ना किसानों से वादा किया था कि समर्थन मूल्य लागत के हिसाब से पचास फीसद बढ़ा कर दाम घोषित करेंगे। किसानों की लागत 23 रुपये प्रति क्विंटल बड़ गई है, लेकिन राज्य सरकार उन्हें भूल गई। इस साल के समर्थन मूल्य में धेले भर की बढ़ोतरी नहीं की गई। इसी उदासीनता के कारण गन्ना किसानों का 2300 करोड़ का बकाया अभी तक अटका है। राजनाथ ने भाजपा को किसानों का हमदर्द बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार हर मदद दे रही है। सपा सरकार को भी जागना चाहिए और तत्काल भरपाई करनी चाहिए।
गन्ने पर सरकार की चौतरफा घेराबंदी
मेरठ। गन्ने को लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सरकार के खिलाफ कड़वाहट बढ़ती जा रही है। बकाया भुगतान और चीनी मिलें चलवाने के मुद्दे पर सरकार की चौतरफा घेराबंदी शुरू हो गई है। भाकियू के साथ रालोद, भाजपा और कांग्रेस ने भी आंदोलन के लिए कमर कस ली है। बृहस्पतिवार को रालोद सांसद जयंत चौधरी ने उप्र सरकार को निशाने पर लिया। वहीं भाजपा नेता पंकज सिंह ने बागपत में किसानों की बड़ी सभा आयोजित की। उधर, भाकियू का जिला मुख्यालयों पर धरना जारी है। रालोद ने एक दिसंबर तो भाकियू ने पांच तारीख को चक्का जाम करने का एलान किया है।
गन्ना मूल्य पर महाराष्ट्र के किसान भड़के
मुंबई। बेहतर गन्ना मूल्यों की मांग कर रहे महाराष्ट्र के किसानों का आंदोलन बृहस्पतिवार को हिंसक हो गया। उत्तेजित किसानों ने कई स्थानों पर रास्ता रोक दिया और वाहनों में तोड़फोड़ की। स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के बैनर तले आंदोलन कर रहे किसान तीन हजार रुपये प्रति टन के हिसाब से गन्ना मूल्य की मांग कर रहे हैं। आंदोलन के चलते सांगली और कोल्हापुर में वाहन नहीं चले। पुणे-बेंगलूर राजमार्ग भी बंद रहा।