चीन में चीनी निर्यात की संभावनाएं तलाश रहीं हैं मिलें
पड़ोसी देश चीन में चीनी की भारी मांग है, जिसे वह अंतरराष्ट्रीय बाजार से पूरी करता है
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। गन्ना किसानों के बकाया भुगतान और वित्तीय संकट झेल रही चीनी मिलों को उबारने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। चीनी उद्योग ने इस दिशा में खुद पहल की है। इंडियन शुगर मिल्स एसोएिशन (इस्मा) ने पड़ोसी देश चीन में बाजार तलाशना शुरू कर दिया है। उसका एक प्रतिनिधिमंडल इन दिनों चीन के दौरे पर है, जहां वह चीनी की मांग को पूरा करने की संभावनाएं ढूढ़ रहा है।
सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले दिनों में चीन में चीनी का निर्यात हो सकता है। पड़ोसी देश चीन में चीनी की भारी मांग है, जिसे वह अंतरराष्ट्रीय बाजार से पूरी करता है। भारत सरकार और घरेलू चीनी उद्योग की कोशिश है कि उसकी चीन मांग को वह पूरा करे। इसके लिए चीनी कंपनियों और सरकार से लगातार संपर्क किया जा रहा है।
चीन में भारतीय दूतावास ने घरेलू चीनी खपाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं, जिसके लिए बीजिंग में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। शुक्रवार को हुई संगोष्ठी में चीनी की कुल दो दर्जन से अधिक कंपनियों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इनमें कच्ची चीनी (रॉ शुगर) की रिफाइनिंग करने वाली मिलों के प्रतिनिधि भी थे। चीनी उद्योग से जुड़ी कई और कंपनियों ने हिस्सा लिया। इसमें चायना काउंसिल फॉर द प्रोमोशन ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड, चायना शुगर एसोसिएशन और कोफ्को शुगर ने भाग लिया। इस्मा के अध्यक्ष गौरव गोयल, इस्मा के महानिदेशक अबिनाश वर्मा और इंडियन शुगर एक्जिम कॉरपोरेशन के सीइओ अधीर झा ने संयुक्त रूप से भारतीय चीनी उद्योग के मजबूत पक्ष को सबके सामने रखा।
भारतीय दूतावास में आर्थिक व वाणिज्यिक काउंसलर प्रशांत एस. लोखंडे ने दोनों देशों के बारे में विस्तार से बात रखी। इस्मा के प्रतिनिधिमंडल को भारतीय राजदूत गौतम बंबावले ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछली चीन यात्रा के दौरान चीनी निर्यात का मुद्दा उठाते हुए प्रस्ताव दिया। इस मुद्दे पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा का प्रमुख विषय था। उन्होंने दूतावास को इस बारे में कार्य करने का निर्देश भी दिया था।