भारतीय स्टार्ट-अप्स में निवेश घटा रहे हैं ग्लोबल इंवेस्टर्स
पिछले 24 महीनों के दौरान ग्लोबल निवेशकों ने इंटरनेट आधारित भारतीय स्टार्ट-अप्स में अरबों डॉलर लगाए, लेकिन अब उनका मोह भंग होने लगा है और उन्होंने निवेश में कटौती शुरू कर दी है।
मुंबई। पिछले 24 महीनों के दौरान ग्लोबल निवेशकों ने इंटरनेट आधारित भारतीय स्टार्ट-अप्स में अरबों डॉलर लगाए, लेकिन अब उनका मोह भंग होने लगा है और उन्होंने निवेश में कटौती शुरू कर दी है।
दरअसल, दुनियाभर के निवेशकों ने भारतीय स्टार्ट-अप्स के जरिए जो जोरदार ऑनलाइन बिक्री के सपने देखे थे, वे पूरे होते नहीं नजर आ रहे हैं। इसके उलट कंपनियों का वैल्यूएशन बढ़ता जा रहा है, जबकि मुनाफा दूर की कौड़ी बनी हुई है।
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नौकरियों के मौके बढ़ाने के मामले में स्टार्ट-अप्स की मदद के वास्ते चार साल के लिए 1.5 अरब डॉलर (करीब 100 अरब रुपए) का फंड बनाने की बात कही है, लेकिन उद्यमियों को यह पर्याप्त नहीं नजर आ रहा है। उन्हें लगता है कि यह सागर में एक बूंद भर साबित होगा। वैसे भी कारोबार में पैसा लगाने वाले निवेशकों (वेंचर कैपिटलिस्ट) ने पहले ही निवेश घटा दिया है क्योंकि चीन में मंदी का असर पूरी दुनिया पर हो रहा है।
सीबी इनसाइट्स और केपीएमजी की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर, 2015 के दौरान भारतीय स्टार्ट-अप्स में वेंचर कैपिटल का निवेश जुलाई-सितंबर के मुकाबले तकरीबन आधा या 1.5 अरब डॉलर रह गया है। चिंता की बात यह है कि भारत में स्टार्ट-अप्स की चमक-धमक फीकी पड़ने का मतलब बड़ी संभावनाओं से चूकना भी हो सकता है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल-लिंच ने अनुमान लगाया है कि साल 2025 तक भारतीय स्टार्ट-अप बढ़कर 220 अरब डॉलर के हो जाएंगे, जो 2015 में करीब 11 अरब डॉलर के रहे।
नॉर्वेस्ट वेंचर पार्टनर्स के इंडिया हेड निरेन शाह ने कहा, 'पहले चरण की फंडिंग एक बड़े बाजार में निवेश का मामला था। अब निवेशक यह देखना चाहते हैं कि उद्यमी किस तरह अपना-अपना बिजनेस संभालते हैं और कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर पाते हैं।'