FTA के तहत मिलने वाली शुल्क रियायतों को लेकर जागरुकता जरूरी, इसी से बढ़ेगा भारतीय निर्यात
दरअसल अभी तक छोटे और मझोले निर्यातक अनभिज्ञता के चलते विभिन्न देशों के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौतों के तहत मिलने वाली शुल्क रियायतों का पूरा लाभ नहीं उठा पाते हैं।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के तहत मिलने वाली शुल्क रियायतों के बेहतर इस्तेमाल से भारतीय निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी। निर्यातकों का मानना है कि केंद्र सरकार ने इन समझौतों के तहत मिलने वाली रियायतों का लाभ लेने के लिए जो सिस्टम बनाने का एलान किया है, उससे एमएसएमई सेक्टर को फायदा होगा। निर्यात संगठनों के फेडरेशन फियो का कहना है एफटीए यूटिलाइजेशन मिशन के गठन से निर्यातकों में विभिन्न समझौतों के तहत मिल रही शुल्क रियायतों के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के प्रयासों के तहत शनिवार को निर्यातकों के लिए एक व्यापक पैकेज का एलान किया। इसके तहत अन्य घोषणाओं के साथ-साथ एक एफटीए यूटिलाइजेशन मिशन स्थापित किया जाना भी तय हुआ है। वाणिज्य मंत्रलय के वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में स्थापित होने वाला मिशन फियो और अन्य निर्यात संगठनों के साथ मिलकर काम करेगा। इसका मुख्य ध्येय निर्यातकों खासतौर पर छोटे और मझोले मैन्यूफैक्चरर निर्यातकों के बीच शुल्क रियायतों के प्रति जागरूकता बढ़ाना होगा।
दरअसल अभी तक छोटे और मझोले निर्यातक अनभिज्ञता के चलते विभिन्न देशों के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौतों के तहत मिलने वाली शुल्क रियायतों का पूरा लाभ नहीं उठा पाते हैं। किस देश के साथ किस समझौते में किन उत्पादों पर किस तरह की रियायतें उपलब्ध हैं, इसकी जानकारी नहीं होना अक्सर नुकसान का कारण बनता है। रियायतों का लाभ नहीं उठा पाने की वजह से भारतीय निर्यातक उन देशों के बाजार में प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाते हैं। फियो के प्रेसिडेंट शरद कुमार सराफ ने बताया कि फियो लंबे समय से ऐसी व्यवस्था बनाए जाने की मांग कर रहा था। निर्यातक और आयातक दोनों एफटीए के नियमों के तहत मिलने वाली सुविधाओं का लाभ उठा पाएंगे। इस सिस्टम के जरिये निर्यातकों को प्रत्येक एफटीए में मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी आसानी से मिलेगी, जिससे अंतत: भारतीय निर्यात को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
फियो ने सरकार की तरफ से उठाए गए अन्य कदमों का स्वागत करते हुए कहा है कि एमईआइएस स्कीम को बदलने वाली नई स्कीम काफी आकर्षक है। इससे निर्यात उत्पादों पर लगने वाले सभी तरह के शुल्क का बोझ उठाने से निर्यातकों को राहत मिलेगी। साथ ही आइटीसी के इलेक्ट्रॉनिक रिफंड की व्यवस्था कायम हो जाने से निर्यातकों की वर्किग कैपिटल की समस्या भी दूर होगी।
सराफ का मानना है कि एक्सपोर्ट क्रेडिट के लिए जारी संशोधित प्रायोरिटी सेक्टर लैंडिंग के दिशानिर्देश निर्यातकों के लिए 36,000 करोड़ रुपये से 68,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लिक्विडिटी उपलब्ध कराएंगे। इससे एक्सपोर्ट फाइनेंसिंग की स्थिति में सुधार होगा। फियो अध्यक्ष का कहना है कि सरकार की तरफ से ये राहत उस वक्त आई है, जब वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। इसका असर वैश्विक व्यापार पर भी पड़ रहा है। इन स्थितियों में व्यापार समुदाय के लिए मध्यम से लेकर दीर्घकालिक उपायों की दरकार बन गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार के इन कदमों से निर्यात क्षेत्र को राहत मिलेगी।