लॉकडाउन में ढील के बाद कारोबार शुरू होने से इकोनॉमी में सुधार के संकेत, 2021-22 में वृद्धि दर 6.7% रहने का अनुमान
आइएचएस मार्किट ने एक अनुमान में अगले वित्त वर्ष (2021-22) में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने का अंदाजा भी लगाया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। इस वर्ष दूसरी छमाही यानी जुलाई-दिसंबर, 2020 में कोविड-19 का असर कम होगा, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी मंदी के दौर से उबरेगी। आइएचएस मार्किट ने एक अनुमान में अगले वित्त वर्ष (2021-22) में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.7 प्रतिशत रहने का अंदाजा भी लगाया है। आइएचएस मार्किट के 'परचेजिंग मैनेजर्स सर्वे फॉर इंडिया' के मुताबिक जून में भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार सुधरी है।
आइएचएस मार्किट के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) राजीव बिस्वास ने कहा, 'महामारी का असर कम होने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था उबरेगी। इस वर्ष दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार आएगा। फिर वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी की वृद्घि दर 6.7 प्रतिशत रहेगी।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस महामारी की वजह से अप्रैल और मई के दौरान देश में औद्योगिक उत्पादन और उपभोग खर्च खासा प्रभावित हुआ है। आइएचएस मार्किट ने कहा, 'गंभीर नकारात्मक प्रभाव की वजह से इस वर्ष अप्रैल-जून तिमाही की जीडीपी विकास दर में बड़ी गिरावट का अंदेशा है। इससे चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी में 6.3 प्रतिशत तक गिरावट आने की आशंका है।' हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन की पाबंदियों में ढील के बाद अब आर्थिक आंकड़ों में सुधार नजर आने लगा है।
महामारी की वजह से छोटी अवधि में आर्थिक झटकों के बावजूद देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) की रफ्तार तेज बनी हुई है। इस वर्ष के शुरुआत सात महीनों के दौरान ग्लोबल टेक्नोलॉजी कंपनियों ने भारत में 17 अरब डॉलर यानी करीब 1.20 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसमें गूगल की ओर से रिलायंस जियो प्लेटफॉर्म्स में 10 अरब डॉलर के नए निवेश की घोषणा शामिल है। आइएचएस मार्किट के मुताबिक फेसबुक, अमेजन और फॉक्सकॉन जैसी वैश्विक टेक्नोलॉजी कंपनियों ने भी भारत में नए निवेश की प्रतिबद्धता जताई है।