अब विदेशों में भी बजेगा भारतीय कंपनियों का डंका, होगी सीधी लिस्टिंग
Stock Market Listing इस समय में घरेलू कंपनियों को विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति नहीं है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। भारतीय कंपनियों को विदेशी स्टॉक एक्सचेंजों में सीधे प्रवेश देने की तैयारी चल रही है। इससे घरेलू कंपनियों को पूंजी जुटाने में सुविधा होगी। सरकार इसके लिए नियामकीय तैयारियों में जुटी है। इन तैयारियों का नतीजा अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 की पहली तिमाही में दिखने की उम्मीद है। घरेलू कंपनियों को विदेशी बाजारों में स्टॉक लिस्टिंग की इजाजत कंपनी एक्ट और फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट के तहत आवश्यक नियम बनाकर दी जाएगी। बजट सत्र के दौरान ही इन कानूनों में संशोधन को मंजूरी मिली है।
मौजूदा समय में घरेलू कंपनियों को विदेशी स्टॉक एक्सचेंज में सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति नहीं है। इसी तरह विदेशी कंपनियां भी भारतीय स्टॉक एक्सचेंज में सीधे प्रवेश नहीं पा सकती हैं। विदेशी बाजारों से राशि जुटाने के लिए घरेलू कंपनियों को एडीआर और जीडीआर जैसी डिपॉजिटरी रसीदों का सहारा लेना पड़ता है।
मौजूदा समय में करीब 15 भारतीय कंपनियां डिपॉजिटरी रसीद के जरिये विदेशी बाजारों से फंड जुटा रही हैं। इनमें इन्फोसिस, आइसीआइसीआइ बैंक, एचडीएफसी बैंक और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी बड़ी कंपनियों के नाम शामिल हैं। जानकारों के मुताबिक नई व्यवस्था में पूंजी जुटाने के लिए कंपनियों को विदेशी बाजारों में पंजीकरण की जरूरत नहीं होगी। पूरी तरह भारतीय कंपनी के रूप पंजीकृत रहकर भी वे विदेश से राशि जुटा सकेंगी।
गौरतलब है कि घरेलू कंपनियों को विदेशी शेयर बाजारों में सीधे सूचीबद्ध होने की इजाजत देने के लिए काफी समय से बहस चल रही थी। इसके लिए सरकार ने अब हामी भर दी है। इस कदम से पूंजी जुटाने की इच्छुक सभी कंपनियों को मदद मिलने की उम्मीद है। स्टार्ट-अप्स और टेक्नोलॉजी कंपनियों में पूंजी की मांग को देखते हुए उन्हें इससे सबसे ज्यादा फायदा मिल सकता है। कंपनियों को मौजूदा निवेशकों को आसानी से पीछे हटने का विकल्प देने की सुविधा भी मिल सकती है।
बरती जाएगी पूरी सतर्कता
सरकार बिना किसी सुरक्षा के इस दिशा में कदम नहीं बढ़ाएगी। माना जा रहा है कि इस संबंध में सरकार 2018 में बाजार नियामक सेबी के पैनल की ओर से मिले सुझावों पर अमल कर सकती है। पैनल ने अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और हांगकांग समेत कुल 10 देशों में भारतीय कंपनियों को लिस्टिंग की अनुमति देने की बात कही थी। इन देशों का चयन इस आधार पर किया गया था कि ये देश फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स और ग्लोबल एंटी-मनी लांडिंग ग्रुप आदि का हिस्सा हैं।
सशर्त मंजूरी की तैयारी
सेबी के पैनल ने यह भी कहा है कि वित्तीय रूप से मजबूत कंपनियों को ही इसकी अनुमति मिलनी चाहिए, ताकि दुरुपयोग की आशंका कम रहे। इसके अलावा जिन कंपनियों ने पेड अप कैपिटल का कम से कम 10 फीसद भारतीय एक्सचेंजों में सूचीबद्ध कराया है, उन्हें ही अनुमति देने का सुझाव है। विदेशी बाजार में भारतीय कंपनियों के सूचीबद्ध होने से रुपये पर भी दबाव पड़ने की आशंका रहेगी। सेबी और रिजर्व बैंक इस पर भी निगाह रखेंगे।