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सरकार चाह कर भी नहीं दे सकती है ज्यादा बड़ा राहत पैकेज, जानें वजह और संभावित पैकेज का आकार

देशभर में 40 दिन के लॉकडाउन की वजह से 2.9 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में कारोबारी गतिविधियां लगभग ठप पड़ गई हैं।

By Ankit KumarEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 11:49 AM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 10:07 PM (IST)
सरकार चाह कर भी नहीं दे सकती है ज्यादा बड़ा राहत पैकेज, जानें वजह और संभावित पैकेज का आकार
सरकार चाह कर भी नहीं दे सकती है ज्यादा बड़ा राहत पैकेज, जानें वजह और संभावित पैकेज का आकार

नई दिल्ली, रायटर। सरकार कोरोनावायरस से राहत देने के लिए अधिकतम 4.5 लाख करोड़ (60 अरब डॉलर) तक खर्च कर सकती है। इसकी वजह यह है कि सरकार को इस बात की आशंका है कि एक सीमा से अधिक राशि खर्च करने पर उसकी सॉवरेट रेटिंग घटा दी जाएगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा। Fitchने मंगलवार को आगाह किया था कि भारत का वित्तीय परिदृश्य और बिगड़ने पर देश की सॉवरेन रेटिंग पर दबाव बढ़ सकती है। एक अधिकारी ने बताया कि, ''हमें सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि कुछ देशों की रेटिंग घटाई जा चुकी है। विकसित देशों और उभरते हुए बाजारों को लेकर रेटिंग एजेंसियों का नजरिया बिल्कुल अलग होता है।''

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पैकेज तैयार करने के कार्य में शामिल अधिकारी ने कहा, ''हम पहले ही GDP के 0.8 फीसद के बराबर पैकेज दे चुके हैं। हमारे पास जीडीपी के 1.5%-2% के बराबर के पैकेज की और गुंजाइश है।''

अधिकारी ने सरकार द्वारा मार्च में घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज को रेखांकित करते हुए यह बात कही। पहले राहत पैकेज के तहत सरकार ने गरीबों को नकदी हस्तांतरित किया था और अनाज का वितरण किया था।

अधिकारियों ने बताया कि अगले राहत पैकेज में देश के गरीब तबके के साथ-साथ ऐसे लोगों को राहत दिए जाने की संभावना है, जिनकी नौकरी चली गई है। साथ ही टैक्स होलीडेज और अन्य उपायों के जरिए छोटी एवं बड़ी कंपनियों को राहत दी जा सकती है। दो वरिष्ठ अधिकारियों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर यह जानकारी दी क्योंकि इस मुद्दे को लेकर अब भी बातचीत चल रही है। 

वित्त मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस संदर्भ में पूछे जाने पर किसी भी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

देशभर में 40 दिन के लॉकडाउन की वजह से 2.9 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था में कारोबारी गतिविधियां लगभग ठप पड़ गई हैं। वहीं, दूसरी तरह देश के कई बड़े शहरों में लॉकडाउन बढ़ाए जाने के आसार है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इस साल देश की अर्थव्यवस्था स्टैगनेट रह सकती है और यहां तक नकारात्मक वृद्धि देखने को मिल सकती है। इससे सरकार की वित्तीय व्यवस्था पर दबाव और बढ़ जाएगा। 

दूसरे अधिकारी ने बताया कि 'बहुत कम' टैक्स कलेक्शन की वजह से सरकार की राजकोषीय स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। साथ ही चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना भी खटाई में पड़ गई है। इससे भी सरकार की वित्तीय सेहत पर असर पड़ना तय है।


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