चीन के साथ भारत व्यापार घाटे में आई कमी, पिछले वित्त वर्ष में 48.66 अरब डॉलर रहा ट्रेड डेफिसिट
आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत से 16.6 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था जबकि चीन से किए गए आयात का मूल्य 65.26 अरब डॉलर रहा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। चीन से आयात घटने के कारण वित्त वर्ष 2019-20 में भारत का व्यापार घाटा भी घटकर 48.66 अरब डॉलर रहा है। आंकड़ों के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में चीन को भारत से 16.6 अरब डॉलर का निर्यात किया गया था जबकि चीन से किए गए आयात का मूल्य 65.26 अरब डॉलर रहा। दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा 2018-19 में 53.56 अरब डॉलर और 2017-18 में 63 अरब डॉलर था।
चीन से किए गए आयात में मुख्य रूप से घडि़यां, म्यूजिकल इंस्टूमेंट्स, खिलौने, खेलने के सामान, फर्नीचर, मैट्रेस, प्लास्टिक के सामान, बिजली के मशीन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, रसायन, लोहा एवं इस्पात के सामान, उर्वरक, खनिज तेल और धातुएं शामिल हैं।
भारत समय-समय पर चीन के साथ बढ़ते व्यापार घाटे पर चिंता जताता आया है। सरकार भी चीन से आयात पर निर्भरता घटाने के लिए कई कदम उठा रही है जैसे टेक्निकल रेगुलशन बनाना और कई उत्पादों के लिए गुणवत्ता के मानक तय करना। इसके अलावा, सरकार ने घरेलू बाजार में चीन से आने वाली कई वस्तुओं पर एंडी-डंपिंग शुल्क लगाया है। एंटी-डंपिंग शुल्क के जरिये सरकार सस्ते आयात से घरेलू उत्पादकों के हितों की रक्षा करती है।
टेक्निकल रेगुलेशन के लिए 371 उत्पादों की पहचान की गई है। इनमें से 150 उत्पादों के लिए टेक्निकल रेगुलेशन तैयार भी किया गया है जिनके आयात का मूल्य लगभग 47 अरब डॉलर है। पिछले एक साल में 50 क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स और टेक्निकल रेगुलेशंस अधिसूचित किए गए हैं और इनमें इलेक्ट्रॉनिक सामान, खिलौने, एयर कंडिशनर्स, साइकिल के पार्ट्स, रसायन, सेफ्टी ग्लास, प्रेशर कुकर, स्टील के आयटम्स, बिजली के सामान जैसे केबल आदि शामिल हैं।
भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी लगभग 14 फीसद है और यह मोबाइल फोन, टेलीकॉम, पावर, प्लास्टिक के खिलौने और फार्मा इन्ग्रेडिएंट्स का प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार, चीन से आने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) 2019-20 में घटकर 163.78 मिलियन डॉलर रहा जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 229 मिलियन डॉलर था।