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कच्ची चीनी से प्रतिस्पर्धी देशों को मात देने की तैयारी में भारत

भारत पहली बार कच्ची चीनी के उत्पादन से प्रतिस्पर्धी देशों को मात देने की तैयारी में है।

By Pramod Kumar Edited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 08:42 AM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 08:42 AM (IST)
कच्ची चीनी से प्रतिस्पर्धी देशों को मात देने की तैयारी में भारत

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। आमतौर पर रिफाइन चीनी का निर्यात करने वाला भारत पहली बार कच्ची चीनी के उत्पादन से प्रतिस्पर्धी देशों को मात देने की तैयारी में है। सरकारी मदद और डॉलर के मुकाबले रुपये की घटती कीमतों से भी घरेलू चीनी उद्योग के लिए निर्यात फायदे का सौदा होगा। अंतरराष्ट्रीय चीनी बाजार में कीमतें बढ़ गई हैं, जिसका लाभ उठाने को लेकर निर्यातक देशों में होड़ लगनी तय है।

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चीनी उत्पादन के अग्रणी देशों ब्राजील और थाइलैंड से भारत की कड़ी प्रतिस्पर्धा है। अब भारतीय चीनी उद्योग ने अपनी निर्यात नीति में बदलाव करते हुए कच्ची चीनी के उत्पादन का मन बनाया है। चीनी की मांग वाले ज्यादातर देशों में रिफाइनरी लगा ली गई हैं, जहां रिफाइन की हुई सफेद चीनी की जगह कच्ची चीनी की मांग है। इंडोनेशिया, चीन, ईरान और सूडान जैसे देशों में कच्ची चीनी को रिफाइन करने के लिए रिफाइनरी लगा दी गई है। भारतीय चीनी उद्योग के सामने इन देशों में कच्ची चीनी के निर्यात का रास्ता खुल सकता है।

भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में कुल 25 लाख टन चीनी की खपत होती है, जबकि उसका उत्पादन केवल 75 हजार टन है। बांग्लादेश ने कई रिफाइनरियां स्थापित की हुई हैं, इसलिए वहां भी रिफाइन की जगह कच्ची चीनी का ज्यादा आयात होता है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा का कहना है कि घरेलू चीनी मिलों ने भी अपनी रणनीति में बदलाव किया है। अक्टूबर से कच्ची चीनी का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

बीते पेराई सीजन में सरकार ने मिलों को लाख टन रिफाइन चीनी के निर्यात का लक्ष्य दिया था। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम होने की वजह से मात्र साढ़े चार लाख टन चीनी का ही निर्यात किया जा सका। चालू पेराई सीजन में 50 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य है, जिसे पूरा करने की तैयारियां जोरों पर है। चालू सीजन में चीनी का उत्पादन 3.50 करोड़ टन होने का अनुमान है। चीनी के इस भारी उत्पादन के अनुमान से घरेलू बाजार पहले से ही नीचे चल रहा है। लेकिन विश्व बाजार में चीनी की कीमतों में सुधार से संभावनाएं बनी हैं।

घरेलू चीनी उद्योग को नगदी संकट से उबारने के लिए सरकार ने दो राहत पैकेज घोषित करने के साथ आयात शुल्क की दरों को दोगुना कर दिया है। इसके साथ निर्यात से सभी तरह के प्रतिबंध हटा लिए गए हैं। इसे लेकर कई देशों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई है। 


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