फरवरी में बढ़ी विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां, 54.9 पर रहा PMI, अनुकूल मांग का मिला फायदा
आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) फरवरी में 54.9 पर रहा है जो जनवरी के मुकाबले मामूली रूप से ज्यादा है। जनवरी में यह 54.0 पर था। विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों को उत्पादन और नए ऑर्डर्स में तेजी का समर्थन मिला है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। एक मासिक सर्वेक्षण में बुधवार को कहा गया कि भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में फरवरी में विस्तार हुआ क्योंकि उत्पादन और नए ऑर्डर तेज दरों से बढ़े हैं, जो अनुकूल मांग स्थिति के कारण हुआ है। मौसमी रूप से समायोजित आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) फरवरी में 54.9 पर रहा, जो जनवरी के 54.0 से ऊपर है। यह क्षेत्र के मजबूत सुधार का संकेत है।
फरवरी के पीएमआई डेटा ने लगातार आठवें महीने समग्र परिचालन स्थितियों में सुधार की ओर इशारा किया है। पीएमआई अगर 50 से ऊपर हो तो उसे विस्तार माना जाता है जबकि 50 से नीचे का स्कोर संकुचन को दर्शाता है। निरंतर बिक्री वृद्धि ने फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी का समर्थन किया है। इसके अलावा उत्पादन और नए ऑर्डर बड़े हैं।
आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा, "भारत के विनिर्माण क्षेत्र के नवीनतम पीएमआई डेटा ने फरवरी में परिचालन स्थितियों में सुधार को दर्शाया है। उत्पादन और नए ऑर्डर मजबूत दरों पर विस्तारित हुए हैं जबकि खरीदारी गतिविधि जारी रही हैं।"
उन्होंने कहा, "हालांकि, कुछ प्रमुख चिंताएं थीं, जो विकास के लिए खतरा बनी रहीं। सबसे प्रमुख रूप से कमी के परिणामस्वरूप लागत दबाव ऊंचा बना रहा जबकि डिलीवरी का समय एक बार फिर लंबा रहा। हालांकि, निर्माताओं के लिए एक प्रमुख खतरा बिक्री कीमतों में मामूली वृद्धि से आया।"
कहा गया कि भारतीय विनिर्माताओं पर क्षमता दबाव के कुछ संकेत थे, जिनमें बैकलॉग मामूली रूप से बढ़ रहा था। इसके बावजूद, और मांग में तेजी के बावजूद, रोजगार में कमी आई। नौकरी छूटने की समग्र दर केवल आंशिक थी। हालांकि, पटेल ने कहा कि बैकलॉग में निरंतर वृद्धि से आने वाले महीनों में रोजगार उच्च स्तर पर हो सकता है, क्षमता दबाव जारी रहना चाहिए।