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भारत के नए कृषि कानूनों में किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता लेकिन सामाजिक सुरक्षा की जरूरत : IMF

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत के नए कृषि कानूनों में किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है लेकिन साथ ही कमजोर किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 27 Jan 2021 06:49 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 08:54 PM (IST)
गोपीनाथ ने कहा कि बुनियादी ढांचा समेत ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां सुधारों की जरूरत है।

वाशिंगटन, पीटीआइ। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा है कि भारत के नए कृषि कानूनों में किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है, लेकिन साथ ही कमजोर किसानों को सामाजिक सुरक्षा देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय कृषि को सुधारों की जरूरत है। गोपीनाथ ने कहा कि बुनियादी ढांचा समेत ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां सुधारों की जरूरत है।

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भारत सरकार ने पिछले साल सितंबर में तीन कृषि कानूनों को लागू किया था और इन्हें कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया जो बिचौलियों को खत्म करेंगे और किसानों को देश में कहीं भी अपनी उपज बेचने की आजादी देंगे।

गोपीनाथ ने नए कृषि कानूनों पर एक सवाल के जवाब में कहा, 'ये कृषि कानून खासतौर से विपणन क्षेत्र से संबंधित हैं। इनसे किसानों के लिए बाजार बड़ा हो रहा है। अब वे बिना कर चुकाए मंडियों के अलावा विभिन्न स्थानों पर भी अपनी पैदावार बेच सकेंगे। हमारा मानना है कि इसमें किसानों की आय बढ़ाने की क्षमता है।'

उन्होंने कहा, 'जब भी कोई सुधार किया जाता है तो उससे होने वाले बदलाव की कीमत होती है। यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इससे कमजोर किसानों को नुकसान न पहुंचे। यह सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराई जा सकती है। अभी एक फैसला किया गया है और देखना होगा कि इसका क्या नतीजा सामने आता है।'

महामारी सहायता कदमों का किया समर्थन

भारत में अगले हफ्ते पेश होने वाले बजट के मद्देनजर गोपीनाथ ने महामारी सहायता कदमों के विस्तार, बुनियादी ढांचे में निवेश पर जोर, आयुष्मान भारत जैसे स्वास्थ्य क्षेत्र के कार्यक्रमों के विस्तार और वाणिज्यिक रूप से सक्षम कंपनियों के बेहद विश्वसनीय विनिवेश का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने लघु एवं मध्यम उद्योगों के लिए कई योजनाएं उपलब्ध कराई हैं जिनमें से अधिकतर नकदी सहायता के रूप में हैं।


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