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चीनी का निर्यात करने वालों को लग सकता है झटका, जानिए क्या है इसकी वजह

भारत अक्टूबर से शुरू हो रहे नए सीजन में चीनी के निर्यात पर सब्सिडी को वापस ले सकता है। इसकी वजह है कि दुनियाभर में चीनी के दाम में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। इससे भारतीय मिलों के लिए दुनियाभर के बाजारों में चीनी बेचना आसान हो गया है।

By Ankit KumarEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 12:24 PM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 12:24 PM (IST)
चीनी का निर्यात करने वालों को लग सकता है झटका, जानिए क्या है इसकी वजह
सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी।

नई दिल्ली, रायटर्स। भारत अक्टूबर से शुरू हो रहे नए सीजन में चीनी के निर्यात पर सब्सिडी को वापस ले सकता है। इसकी वजह है कि दुनियाभर में चीनी के दाम में बहुत अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। इससे भारतीय मिलों के लिए दुनियाभर के बाजारों में चीनी बेचना आसान हो गया है। सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को इस बात की जानकारी दी। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण के सबसे वरिष्ठ अधिकारी सुधांशु पाण्डेय ने रायटर्स से एक साक्षात्कार में कहा, ''सरकार अगले साल के लिए फिलहाल किसी सब्सिडी पर विचार नहीं कर रही है।''

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उन्होंने कहा, ''वर्तमान परिस्थितियों में सब्सिडी की कोई जरूरत नजर नहीं आ रही है। अगर निर्यातक खुद से लागत निकाल लेते हैं तो यह वैश्विक बाजार के लिए भी अच्छा है कि कोई सब्सिडी ना दी जाए।''

भारत, ब्राजील के बाद चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। लगातार तीन साल अच्छी बिक्री की बदौलत भारत इस कमोडिटी का स्थिर एक्सपोर्टर बन चुका है।

प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता प्रायः भारत के चीनी निर्यात से जुड़ी सब्सिडी का विरोध करते हैं। ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और ग्वाटेमाला के विरोध के बाद वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) ने 2019 में भारत द्वारा शुगर एक्सपोर्ट पर दी जाने वाली सब्सिडी को लेकर मिली शिकायतों पर फैसले के लिए एक समिति का गठन किया था।

ऑस्ट्रेलिया सुगर मिलिंग काउंसिल (ASMC) WTO की कार्रवाई का समर्थन करने वाला ऐसा ही एक संगठन है। ASMC ने पिछले सप्ताह कहा था कि दुनियाभर में चीनी का उत्पादन करने वाले देशों में इस बात को लेकर व्यापक चिंता है कि भारत सरकार आगे भी विवादास्पद एक्सपोर्ट सब्सिडी पर विचार कर सकती है।

ASMC ने इस बारे में हाल में एक रिपोर्ट तैयार करायी थी। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2017 से 2020 के बीच भारत में शुगर के अत्यधिक उत्पादन से ऑस्ट्रेलिया की शुगर इंडस्ट्री पर 724.40 मिलियन डॉलर का भार पड़ा है।


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