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विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति ज्यादा बेहतर

नाजुक दौर से गुजर रही ग्लोबल अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति बेहतर है। भारतीय अर्थव्यवस्था के आधारभूत संकेतकों में सुधार आया है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Fri, 06 Jan 2017 10:29 AM (IST)Updated: Fri, 06 Jan 2017 04:39 PM (IST)
विश्व अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति ज्यादा बेहतर

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: नाजुक दौर से गुजर रही ग्लोबल अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति बेहतर है। भारतीय अर्थव्यवस्था के आधारभूत संकेतकों में सुधार आया है। काले धन पर अंकुश लगाने के लिए किए गए नोटबंदी जैसे उपायों से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है।

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वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (एफएसडीसी) की बैठक में अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों और प्रमुख मुद्दों का जायजा लिया गया। बताया जाता है कि वित्त मंत्री ने एफएसडीसी के सदस्यों और वित्तीय क्षेत्र के प्रतिनिधियों के साथ आम बजट 2017-18 के संबंध में भी चर्चा की। बैठक के बाद जेटली ने कहा कि ग्लोबल अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में है। लेकिन भारत के आधारभूत आर्थिक संकेतकों में सुधार के साथ अर्थव्यवस्था काफी बेहतर है।

एफएसडीसी की बैठक में वित्त मंत्रलय के सभी सचिव और रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल, वित्तीय क्षेत्र के अन्य नियामक भी मौजूद थे। एफएसडीसी ने बैंकों के फंसे कर्ज की स्थिति की समीक्षा भी की। बैठक के बाद वित्त मंत्रलय ने एक बयान में कहा कि भारत मैक्रो-इकोनॉमिक संकेतकों में सुधार के साथ आज काफी बेहतर स्थिति में है। परिषद ने यह भी माना कि काले धन को समाप्त करने के लिए नोटबंदी सहित सरकार की ओर से किए गए उपायों के आगामी दिनों में जीडीपी और राजकोषीय संतुलन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे।

एफएसडीसी की बैठक में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रेजेंटेशन दिया। इसके अलावा वित्तीय क्षेत्र के नियामकों ने आगामी आम बजट के संबंध में अपने सुझाव भी दिए। काउंसिल ने बैंकिंग क्षेत्र में फंसे कर्ज की समस्या पर चर्चा करते हुए सरकार की ओर से इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों पर भी चर्चा की।

बैठक में वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक कार्य विभाग के सचिव शक्तिकांत दास, वित्तीय सेवा विभाग की सचिव अंजुली चिब दुग्गल, राजस्व सचिव हसमुख अढिया, विनिवेश सचिव नीरज कुमार गुप्ता, सेबी अध्यक्ष यूके सिन्हा, इरडा के अध्यक्ष टीएस विजयन और पीएफआरडीए के अध्यक्ष हेमंत जी कांट्रैक्टर मौजूद रहे।

अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में सात फीसद रहेगी ग्रोथ

अगले वित्त वर्ष (2017-18) की पहली छमाही में आर्थिक विकास की दर करीब सात फीसद रहने का अनुमान है। कई अर्थशास्त्री नोटबंदी के फैसले से ग्रोथ पर खासा असर पड़ने की आशंका जता रहे थे। इस तरह ताजा आंकड़े काफी राहत देने वाले हैं।

वित्त वर्ष 2017-18 के बजट की चर्चा में शामिल अधिकारियों ने बताया कि नोटबंदी का असर उतना गंभीर नहीं होगा जिसकी आशंका जताई जा रही थी। अगले वित्त वर्ष में ग्रोथ घटकर साढ़े छह से सात फीसद रह सकती है। वजह यह है कि छोटे उद्योगों ने कर्मचारियों की छंटनी की है। उपभोक्ता मांग में गिरावट आई है। साथ ही खरीफ की बुवाई पर असर पड़ा है।

अधिकारियों ने स्वीकार किया कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ग्रोथ पहले के अनुमानों 7.75 फीसद से कम रहेगी। चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह टूटकर चार फीसद तक पहुंच सकती है। नोटबंदी के सरकार के फैसले के तहत सकरुलेशन में करीब 86 फीसद करेंसी खींच ली गई। समानांतर अर्थव्यवस्था को खत्म करने और टैक्स राजस्व को बढ़ाने के साथ बैंक खातों व डिजिटल ट्रांजैक्शन के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के मकसद से यह फैसला किया गया।


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