Crude Oil की कीमतों का फायदा उठाने की तैयारी में भारत, बना रहा है तेल का भारी भंडार
Crude Oil भारत ने अपनी आपातकालीन जरूरतों के लिए 53.3 लाख टन का भंडार तैयार किया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का फायदा उठाते हुए भारत अपने भूमिगत भंडार भरने की तैयारी कर रहा है। भारत ने अपनी आपातकालीन जरूरतों के लिए 53.3 लाख टन का भंडार तैयार किया है। कर्नाटक के मंगलुरु और पाडुर तथा आंध्र प्रदेश के विशाखापतनम में बने इन रिजर्व से आपात स्थिति में 9.5 दिन तक तेल की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। इन रिजर्व को भरने के लिए भारत ने सऊदी अरब और यूएई से आयात बढ़ाया है।
इस मामले जुड़े सूत्रों का कहना है कि मंगलुरु और पाडुर के रिजर्व आधे खाली हैं, जबकि विशाखापतनम वाले रिजर्व में भी कुछ जगह खाली है। फिलहाल सऊदी अरब, यूएई और इराक से तेल खरीदकर इन्हें भरा जाएगा। कोरोना के कारण उपजी परिस्थितियों में तेल की मांग कम होने और ओपेक व अन्य तेल उत्पादक देशों की ओर से उत्पादन में कटौती नहीं किए जाने से जनवरी से अब तक तेल की कीमतों में 60 फीसद से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है।
इस समय कच्चा तेल 30 डॉलर प्रति बैरल के आसपास की कीमत पर उपलब्ध है। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने पिछले दिनों सऊदी और यूएई में अपने समकक्ष नेताओं से बात कर आपूर्ति बढ़ाने पर चर्चा की थी।
भारत ने आपूर्ति या कीमतों में बड़े बदलाव की स्थिति से बचने के लिए सुरक्षा के तौर पर भूमिगत स्टोरेज तैयार किया है। भारत ने विदेशी कंपनियों को इनमें इस शर्त पर तेल रखने की अनुमति दी है कि किसी इमरजेंसी की स्थिति में भारत उस तेल का उपयोग कर सकेगा। इस शर्त के साथ अबु धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनॉक) ने मंगलुरु के स्टोरेज में 15 लाख टन की जगह किराए पर ली है।
कर्नाटक का पाडुर सबसे बड़ा स्टोरेज है। इसकी कुल क्षमता 25 लाख टन (करीब 1.7 करोड़ बैरल) है। इसमें आधे स्टोरेज को सरकार भर चुकी है। बाकी आधी जगह को भरने के लिए सऊदी अरब से तेल लेने पर विचार हो रहा है। इन तीनों स्टोरेज में जमा तेल सरकार से संबंधित होगा, लेकिन फिलहाल इसके लिए सरकार भुगतान नहीं कर रही है। सरकारी कंपनियों इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम को इस तीन खाड़ी देशों से तेल खरीदने और इन स्टोरेज को भरने के लिए कहा गया है। बाद में सरकार कंपनियों को इस मद में भुगतान कर देगी।
अभी वित्त मंत्रलय ने इसके लिए 700 करोड़ रुपये का फंड निर्धारित किया है। मंगलुरु, पाडुर और विशाखापतनम के स्टोरेज को भरने के लिए 1.5 करोड़ बैरल तेल की जरूरत है और इसके लिए कम से कम 2,000 करोड़ रुपये की और आवश्यकता होगी।