ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए रेपो रेट कम करें RBI: इंडिया इंक
सरकार की ओर से जारी डेटा के मुताबिक दिसंबर महीने में फूड आर्टिकल्स की महंगाई घटकर 4.72 फीसद के स्तर पर आ गई है।
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। दिसंबर महीने में थोक मंहगाई के आंकड़ों में नरमी के चलते इंडिया इंक ने आरबीआई से पॉलिसी रेट्स में कटौती करने का आग्रह किया है। ऐसा इसलिए ताकि इससे निवेश बढ़ें और आर्थिक विकास को बूस्ट मिल सके।
महंगाई के आंकड़ें आपूर्ति कारकों पर निर्भर करते हैं। इसलिए हम भारतीय रिजर्व बैंक से मांग करते हैं कि अपनी मौद्रिक नीति को इस तरह से एडजस्ट करें कि उसमें विकास के जुड़े मामलों को भी बराबर तवज्जो मिल सके। फिक्की के प्रेजिडेंट रशेश शाह ने कहा, “आगामी मौद्रिक नीति में रेपो रेट में कटौती निवेश को बूस्ट और विकास की गति को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।”
महंगाई आधारित थोक महंगाई दिसंबर 2017 में घटकर 3.58 फीसद के स्तर पर रही है। फ्यूल की कीमतों में तेजी के बावजूद फूड आर्टिकल्स में गिरावट देखने को मिली है। नवंबर महीने में यह 3.93 फीसद रही थी।
मैन्युफैक्चरिंग प्रोडक्ट डब्ल्यूपीआई 2.61 फीसद के स्तर पर बरकरार रही है। दिसंबर महीने में खाद्य थोक महंगाई दर 4.10 फीसद से घटकर 2.91 फीसद रही है। इसके अलावा थोक महंगाई दर 3.93 फीसद से घटकर 3.58 रही है। वहीं सब्जियों से जुड़ी महंगाई दर 59.80 फीसद से घटकर 56.46 फीसद रही है।
एसोचैम का कहना है कि बीते पांच महीनों के दौरान कोर इन्फ्लेशन के रुख को प्रमुख कारक मानते हुए यह कहा जा सकता है कि महंगाई अप्रैल से जून 2018 तक तेज रह सकती है। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डी एस रावत ने कहा, “पॉलिसी मेकर्स को यह ध्यान में रखना चाहिए कि वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त के चलते पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। इसका असर इंपोर्ट बिल्स और एक्सचेंज रेट पर देखने को मिल सकता है।”
सरकार की ओर से जारी डेटा के मुताबिक दिसंबर महीने में फूड आर्टिकल्स की महंगाई घटकर 4.72 फीसद के स्तर पर आ गई है।