कोरोना संकट के बाद के वैश्विक परिदृश्य में भारत के सामने असीमित संभावनाएं: एन चंद्रशेखरन
टाटा संस के चेयरमैन चंद्रशेखरन ने कहा कि कोरोना संकट के बाद के वैश्विक परिदृश्य में भारत के सामने असीमित संभावनाएं होंगी। यह बात उन्होंने शनिवार को देश के प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की के 93वें सालाना सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कही।
नई दिल्ली, एजेंसियां। टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने कहा कि कोरोना संकट के बाद के वैश्विक परिदृश्य में भारत के सामने असीमित संभावनाएं होंगी। इस मौके का लाभ उठाने के लिए देश को तैयार रहने की जरूरत है। यह बात उन्होंने शनिवार को देश के प्रमुख उद्योग संगठन फिक्की के 93वें सालाना सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कही। चंद्रशेखरन ने कहा कि 2021 से शुरू होने वाला दशक भारत के लिए है। इसके लिए उद्योग को सभी तरह के प्रोजेक्ट पर ध्यान देना होगा। इसके साथ-साथ नई प्रतिभाएं, डाटा और बैंडविड्थ पर भी विशेष फोकस करने की जरूरत है।
सरकार की ओर इशारा करते हुए चंद्रशेखरन ने कहा कि नए भारत में डाटा और कराधान के लिए नियामकीय मानकों की जरूरत है। नीतिगत मसलों पर सरकार के सकारात्मक रवैये से उत्साहित टाटा संस चेयरमैन का कहना था कि उद्योग जगत और सरकार के सहयोगात्मक रिश्ते से भारत की प्रगति वैश्विक पटल पर सुनिश्चित होगी।
कोरोना के बाद की नई दुनिया को अपने नाम करने के लिए गांवों को भी भागीदार बनाना होगा। इस दिशा में हाई स्पीड इंटरनेट और किफायती डाटा महत्वपूर्ण साबित होंगे। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी के लिए भारत के समक्ष अगर सबसे अहम मुद्दा डिजिटाइजेशन है, तो इस लिहाज से दूसरे स्थान पर ग्लोबल वैल्यू चेन को अहमियत देनी चाहिए।
इकोनॉमी को उबारने में पीपीपी अहम
माइक्रोसॉफ्ट के ग्लोबल सीईओ सत्य नडेला ने कहा कि भारत जैसे विकासशील देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना संकट से उबारने के लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) अहम साबित होंगे। इसके लिए उन्होंने इनके बीच 'सोशल कांट्रैक्ट' की जरूरत की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया। फिक्की के सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारतीय मूल के नडेला ने कहा कि भारत में सरकार, निजी सेक्टर व समाज के साथ मिलकर काम करने से बदलाव की बयार तेज होगी।
पांच प्रतिशत की विकास दर भी महत्वपूर्ण
फिक्की के कार्यक्रम में अपने संबोधन में मॉर्गन स्टेनले के चीफ ग्लोबल स्ट्रैटेजिस्ट रुचिर शर्मा ने कहा कि वर्तमान दौर वैश्वीकरण से उलट है। ऐसे में भारत के लिए पांच प्रतिशत व इससे अधिक का विकास दर महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान काल में सात प्रतिशत की विकास दर हासिल करना संभव नहीं है, क्योंकि वैश्विकरण से विपरीत इस दौर में निर्यात में 20 से 30 प्रतिशत का विकास करना काफी मुश्किल है। तेज विकास ग्लोबलाइजेशन के अच्छे दौर में संभव हो सका था।