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    7.2% की रफ्तार से भागेगी भारत की GDP, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में किया खुलासा

    Updated: Wed, 12 Nov 2025 04:07 PM (IST)

    India GDP Growth: इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के अनुसार, भारत की जीडीपी चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 7.2% की दर से बढ़ने का अनुमान है। निजी खपत विकास का मुख्य कारण होगी। वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर मजबूत रहने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण उच्च और निम्न आय वाले परिवारों में स्थिर वास्तविक आय वृद्धि है।

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    नई दिल्ली। India GDP Growth: भारत की जीडीपी ग्रोथ को लेकर बुधवार को इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (इंड-रा) ने अपनी रिपोर्ट जारी की। एजेंसी को अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जिसमें निजी खपत विकास का प्रमुख कारक होगी। वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारतीय अर्थव्यवस्था 5.6 प्रतिशत बढ़ी थी।

    इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक भारत का वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) चालू वित्त वर्ष की अप्रैल से जून की अवधि में पांच तिमाहियों में सबसे तेज गति से 7.8 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (The National Statistics Office) 28 नवंबर को वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के जीडीपी विकास अनुमानों पर आधिकारिक आंकड़े जारी करेगा।

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    मजबूत बनी रहेगी भारत की जीडीपी

    एक बयान में, इंड-रा ने कहा कि उसे उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर साल-दर-साल 7.2 प्रतिशत पर मजबूत बनी रहेगी।

    इंड-रा के अर्थशास्त्री और एसोसिएट निदेशक पारस जसराय ने कहा, "मांग पक्ष से, निजी उपभोग उच्च और निम्न आय वाले परिवारों, दोनों में स्थिर वास्तविक आय वृद्धि के कारण विकास का एक प्रमुख चालक है। विनिर्माण क्षेत्र में अनुकूल आधार-आधारित वस्तु निर्यात वृद्धि के साथ-साथ लचीले सेवा क्षेत्र ने वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही के दौरान आपूर्ति पक्ष से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि को गति दी।"

    मजबूत घरेलू मांग के कारण अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर ढंग से संकटग्रस्त परिस्थितियों से पार पा रही है। इंड-रा की रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति एजेंसी और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों की अपेक्षाओं से अधिक तेजी से घटी है, जिससे वास्तविक मजदूरी और उपभोग मांग में वृद्धि हुई है।

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