इंडियन इकोनॉमी के जल्द लौटेंगे सुनहरे दिन, देश के बड़े इकोनॉमिस्ट ने जताई आस
Indian Economy वैसे ही तरक्की करेगी जैसा माहौल 2020 के शुरुआत में था। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयंत आर वर्मा (Economist Jayanth R Varma) ने गुरुवार को कहा कि इस समय अर्थव्यवस्था के दोबारा पटरी पर आने के साथ इकोनॉमी तेजी से महामारी से पहले वाले स्तर पर लौट रही है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। Indian Economy फिर उसी रफ्तार से तरक्की करेगी, जैसा Covid के पहले माहौल था। यह ऐलान प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जयंत आर वर्मा (Economist Jayanth R Varma) ने गुरुवार को किया। उन्होंने कहा कि इस समय अर्थव्यवस्था के दोबारा पटरी पर आने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के ज्यादातर क्षेत्रों में स्थिति तेजी से महामारी से पहले वाले स्तर पर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि भारतीय वित्त क्षेत्र का बेहतर स्वास्थ्य भी आर्थिक वृद्धि के लिए एक सकारात्मक कारक है। रिजर्व बैंक (Reserve Bank) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सदस्य वर्मा ने पीटीआई दिए एक इंटरव्यू में कहा कि महंगाई का बढ़ना, मौद्रिक नीति के लिए एक बड़ी रुकावट है।
उन्होंने कहा-मैं इस समय अर्थव्यवस्था के दोबारा पटरी पर लौटने को लेकर काफी सकारात्मक हूं। मुझे लगता है कि इसकी मदद से हम संपर्क-गहन सेवाओं को छोड़कर अर्थव्यवस्था के ज्यादातर क्षेत्रों में महामारी से पहले के स्तर पर पहुंच जाएंगे। वर्मा ने कहा कि आगे चुनौती 2018 के आसपास शुरू हुई मंदी को पलटने और निरंतर मजबूत वृद्धि हासिल करने की है।
उन्होंने कहा-मुझे लगता है कि निरंतर बढ़ोतरी मुख्य रूप से व्यापार क्षेत्र द्वारा पूंजी निवेश की वापसी पर निर्भर करती है और मैं इसे लेकर भी आशान्वित हूं। उन्होंने कहा कि भारतीय वित्तीय क्षेत्र का बेहतर स्वास्थ्य भी आर्थिक विकास के लिए एक सकारात्मक कारक है।
भारत सबसे तेज विकास दर हासिल करने की राह पर
Covid-19 की खतरनाक दूसरी लहर के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में चालू कारोबारी साल की पहली तिमाही में 20.1 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गई। इसका कारण बीते कारोबारी साल की पहली तिमाही का तुलनात्मक आधार नीचे होना और विनिर्माण व सेवा क्षेत्रों का बेहतर प्रदर्शन रहा है। भारत अब इस साल दुनिया की सबसे तेज विकास दर हासिल करने की राह पर है।
महंगाई सता रही
उन्होंने कीमतों को लेकर कहा कि 2020-21 में मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से ऊपर थी, 2021-22 में यह 5.5 प्रतिशत से ऊपर होने की संभावना है, और 2022-23 की पहली तिमाही में भी इसके पांच प्रतिशत से ऊपर रहने का अनुमान है।
महंगाई से बढ़ीं मुश्किलें
वर्मा ने कहा, "इतनी लंबी अवधि के लिए बढ़ी हुई मुद्रास्फीति जोखिम पैदा करती है कि परिवार और व्यवसाय भविष्य में भी उच्च मुद्रास्फीति की उम्मीद करना शुरू कर देंगे। मुद्रास्फीति की उम्मीदों की ऐसी खाई मौद्रिक नीति के कार्य को और अधिक कठिन बना देती है। मुद्रास्फीति की उम्मीदों को कम करने वाला एक प्रमुख कारक केंद्रीय बैंक की विश्वसनीयता है। इस विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए, मौद्रिक नीति समिति को मुद्रास्फीति के दबावों का निर्णायक रूप से जवाब देना होगा क्योंकि वे अर्थव्यवस्था में जड़ें जमाना शुरू कर देते हैं।"